क्यों चीन और पाकिस्तान के गले की फांस है चाबहार, एक क्लिक में समझें पूरा मामला

भारत और चीन केनई दिल्ली। भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद के बाद से आपसी गतिरोध में पहले से कहीं ज्यादा इजाफा हो चुका है। चीन ने सोच रखा था कि अन्य देशों की तरह भारत भी उनके सामने घुटने टेक देगा। लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं हुआ। भारत ने न सिर्फ मुहतोड़ जवाब दिया बल्कि उसे दरकिनार करने की कवायद भी शुरू कर दी है। वहीं पाकिस्तान भी भारत के हर पैंतरे से बौखलाया हुआ है।

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वैसे तो चीन की हमेशा से ख्वाहिश रही है कि वह भारत को नतमस्तक करने पर मजबूर करे। लेकिन एक बार फिर से ड्रैगन के हाथ निराशा लगती दिखाई दे रही है।

पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट के जरिए चीन ने भारत को घेरने की कोशिश की थी। उसे लगता था कि वो ग्वादर पोर्ट की सहायता से यूरोप के देशों तक भारत की पहुंच को रोकने में कामयाब रहेगा। लेकिन ईरान में चाबहार के जरिए भारत ने चीन की मंशा को नाकाम कर दिया है।

बता दें चाबहार पोर्ट को विकसित करने के लिए 2003 में ईरान के साथ समझौता हुआ और पिछले वर्ष विकास की रफ्तार बढ़ाई गई।

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चाबहार के पहले प्रोजेक्ट को ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने दोनों देशों को समर्पित किया। आइए अब आप को बताते हैं कि चाबहार, भारत के लिए क्यों इतना अहम है।

क्या है चाबहार पोर्ट की खासियत

चाबहार पोर्ट दक्षिण पूर्वी ईरान में है। इस बंदरगाह के जरिए भारत पाकिस्तान को दरकिनार कर अफगानिस्तान से बेहतर संबंध स्थापित कर सकेगा। अफगानिस्तान के साथ भारत के आर्थिक और सुरक्षा हित जुड़े हुए हैं। इस बंदरगाह के जरिए ट्रांसपोर्ट कॉस्ट और समय में एक तिहाई की कमी आएगी।

मालूम हो कि ईरान चाबहार पोर्ट को ट्रांजिट हब के तौर पर विकसित करना चाहता है। ईरान की नजर हिंद महासागर और मध्य एशिया के व्यापार पर से जुड़ी हुई है।

भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जिसने पश्चिमी देशों के साथ ईरान के बिगड़ते हुए रिश्तों के बाद भी ईरान के साथ अपने व्यापारिक संबंध को अभी तक कायम रखा है। वहीं कच्चे तेल के मामले में चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक है।

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विश्व में तेल आपूर्ति का पांचवां हिस्सा फारस की खाड़ी के जरिए होता है। इस लिहाज से चाबहार पोर्ट महत्वपूर्ण है। चाबहार पोर्ट के प्रथम चरण में भारत 200 मिलियन डॉलर का निवेश करेगा। इस निवेश में 150 मिलियन डॉलर एक्जिम बैंक के जरिए उपलब्ध कराया जाएगा।

ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थिति चाबहार पोर्ट भारत के लिए रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण है। चाबहार से अफगानिस्तान के जरांज तक रोड नेटवर्क को और मजबूत किया जा सकता है। जरांज की चाबहाक से दूरी 883 किमी है।

जरांज-देलाराम हाइवे के निर्माण से भारत अफगानिस्तान के चार शहरों हेरात, कंधार, काबुल और मजार-ए-शरीफ तक सीधी पहुंच बना सकेगा।

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चाबहार पोर्ट ऐसा विदेशी पोर्ट होगा जिसपर भारत की सीधी भागीदारी होगी। पश्चिमी देशों द्वारा ईरान पर प्रतिबंध लगाने के बाद चाबहार के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच बातचीत में नरमी आ गयी थी। लेकिन ईरान से प्रतिबंध हटाए जाने के बाद भारत ने इस समझौते को तार्किक परिणाम तक पहुंचाने के लिए कोशिश शुरू कर दी।

ग्वादर के विकास के पीछे क्या है असल मकसद

चीन ने पाकिस्तान को समझाया कि गवादर बंदरगाह पूरा होने पर पाकिस्तान, हांगकांग और सिंगापुर से ज्यादा समृद्ध हो जाएगा। यह केवल पाकिस्तान को बरगलाने के उद्देश्य मात्र से किया गया था। चीन का असली मकसद पाक के जरिये कई पड़ोसी देशों को साधना है।

सच यह है कि चीन ने पाकिस्तान में जो आर्थिक गलियारा बनाया है जिसका मुख्य उद्देश्य हिंद महासागर में प्रवेश पाना है और सच कहा जाए तो यह केवल भारत को घेरने की चीन की साजिश है जिसमें पाकिस्तान उसका अनजाने ही सहयोगी बन गया है।

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पाकिस्तान यह कहता है कि चीन ने जो आर्थिक गलियारा बनाया है उससे उसकी आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत हो जाएगी। चीन ने पाकिस्तान को यह समझाया है कि यद्यपि अमेरिका पाकिस्तान को बीच बीच में आर्थिक सहायता दे रहा है। परन्तु विश्व की बदलती राजनीति में अमेरिका अब भारत के बहुत निकट आ गया है। यह पाकिस्तान के लिए खतरे की बात है।

लिहाजा चीन और पाकिस्तान को मिलकर भारत और अमेरिका के गठजोड़ को प्रभावहीन बनाना चाहिए। पाकिस्तान चीन के झांसे में आ गया है और चीन जैसा कहता है वैसा ही वह कर रहा है। आर्थिक गलियारे के बहाने चीन पाकिस्तान के बाजार में बुरी तरह छा गया है।

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खबरों के मुताबिक, ‘पाकिस्तान में जितने भी आर्थिक परियोजनाएं चल रही हैं उनमें सारा सामान चीन से आता है। चीन एक सूई तक भी पाकिस्तान से नहीं खरीद रहा है।’

किसके हवाले ग्वादर पोर्ट?

पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी भाग में बलूचिस्तान प्रान्त में अरब सागर के किनारे पर स्थित एक पोर्ट सिटी है। यह गवादर ज़िले का केंद्र है। वर्ष 2011 में इसे बलूचिस्तान की शीतकालीन राजधानी घोषित कर दिया गया था। गवादर शहर एक 60 किमी चौड़ी तटवर्ती पट्टी पर स्थित है। जिसे अक्सर मकरान कहा जाता है। ईरान तथा फ़ारस की खाड़ी के देशों के बहुत पास होने की वजह से इस शहर का सैन्य और राजनैतिक महत्व है।

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पाकिस्तान ने इस बंदरगाह को विकसित करने के लिए चीन को अधिकृत कर दिया था। गवादर पोर्ट के विकसित होने के बाद चीन की भी सीधी पहुंच मध्य एशिया और यूरोप के देशों तक हो जाएगी। गवादर पोर्ट में चीन के स्वामित्व की खबर के बाद विशेषज्ञों का कहना है कि असमान्य हालात में चीन और पाकिस्तान भारत को घेरने में इस्तेमाल कर सकते हैं।

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