एक्सिओम-4 मिशन: शुभांशु शुक्ला बने भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री, क्या है एक्सिओम-4 मिशन ?

एक्सिओम-4 मिशन क्या है?
एक्सिओम-4 (Ax-4) मिशन, अमेरिकी निजी अंतरिक्ष कंपनी एक्सिओम स्पेस द्वारा संचालित चौथा मानव अंतरिक्ष मिशन है, जो नासा और स्पेसएक्स के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए लॉन्च किया जा रहा है।

यह मिशन भारत, पोलैंड, और हंगरी के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि यह इन देशों का 40 वर्षों बाद पहला सरकारी प्रायोजित मानव अंतरिक्ष मिशन है। मिशन में चार अंतरिक्ष यात्री ISS पर 14-21 दिनों तक रहेंगे, जहां वे 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। इन प्रयोगों में माइक्रोग्रैविटी में मानव शरीर पर प्रभाव, अंतरिक्ष में खेती, और सामग्री विज्ञान (मैटेरियल साइंस) से संबंधित शोध शामिल हैं। यह मिशन निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के सहयोग का प्रतीक है और भविष्य में वाणिज्यिक अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की दिशा में एक कदम है।

लॉन्च की तारीख, स्थान, और प्रक्रिया
एक्सिओम-4 मिशन की लॉन्चिंग 25 जून 2025 को सुबह 2:31 बजे EDT (12:01 बजे IST) फ्लोरिडा के नासा केनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से हुई। मिशन में स्पेसएक्स का फाल्कन 9 रॉकेट और ड्रैगन कैप्सूल (C213, पहली उड़ान) उपयोग हुआ। लॉन्च के बाद, फाल्कन 9 रॉकेट ड्रैगन कैप्सूल को निम्न पृथ्वी कक्षा में स्थापित कर अलग हो गया, और कैप्सूल स्वायत्त रूप से ISS की ओर बढ़ा। यह 26 जून 2025 को शाम 4:30 बजे IST ISS के साथ डॉक हुआ, जो लॉन्च के लगभग 28 घंटे बाद था। मिशन को पहले 29 मई, 10 जून, और 11 जून 2025 को लॉन्च करने की योजना थी, लेकिन मौसम और फाल्कन 9 में लिक्विड ऑक्सीजन रिसाव के कारण इसे स्थगित करना पड़ा।

भारत के लिए मिशन का महत्व
एक्सिओम-4 मिशन भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक मील का पत्थर है। यह 41 वर्षों बाद भारत का दूसरा मानव अंतरिक्ष मिशन है, जब 1984 में राकेश शर्मा सोवियत सल्युत-7 स्टेशन गए थे। मिशन के प्रमुख बिंदु:

  • पहला भारतीय ISS मिशन: शुभांशु शुक्ला ISS पर जाने वाले पहले भारतीय हैं, जो भारत की अंतरिक्ष क्षमता को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करता है।
  • गगनयान के लिए अनुभव: शुभांशु, जो ISRO के गगनयान मिशन (2026-27) के लिए चुने गए चार अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं, को ISS पर अनुभव मिलेगा, जो भारत के स्वदेशी मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए महत्वपूर्ण है।
  • वैज्ञानिक शोध: भारत के सात प्रयोग, जैसे मूंग और मेथी का अंकुरण, माइक्रोग्रैविटी में फसल प्रतिरोध, और मानव स्वास्थ्य पर अध्ययन, अंतरिक्ष में दीर्घकालिक मानव मिशनों के लिए डेटा प्रदान करेंगे।
  • प्रेरणा का स्रोत: ISRO का कहना है कि यह मिशन युवाओं में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति जिज्ञासा जगाएगा। शुभांशु ISS से भारतीय छात्रों और संभवतः PM नरेंद्र मोदी से बात करेंगे, जो राष्ट्रीय गौरव का क्षण होगा।
  • वैश्विक सहयोग: भारत ने इस मिशन के लिए $60 मिलियन (लगभग ₹500 करोड़) का भुगतान किया है, जो नासा, स्पेसएक्स, और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहयोग को दर्शाता है। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को वैश्विक अंतरिक्ष दौड़ में मजबूत करता है और 2040 तक चंद्रमा पर मानव भेजने के PM मोदी के लक्ष्य की ओर एक कदम है।

शुभांशु शुक्ला: कौन हैं और उनकी उपलब्धियां
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (उपनाम: शक्स), 39 वर्षीय भारतीय वायुसेना के टेस्ट पायलट और ISRO अंतरिक्ष यात्री हैं। उनका जन्म 10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ। उनकी प्रमुख उपलब्धियां:

  • शिक्षा और प्रशिक्षण: लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से स्कूली शिक्षा पूरी की। 1999 के कारगिल युद्ध से प्रेरित होकर UPSC NDA परीक्षा पास की। 2005 में नेशनल डिफेन्सेसी, पुणे से कंप्यूटर साइंस में बीएससी की डिग्री प्राप्त की और भारतीय वायुसेना अकादमी में फाइटर पायलट प्रशिक्षण लिया। 2021 में IISc बैंगलोर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में M.Tech किया।
  • वायुसेना करियर: जून 2006 में फाइटर स्ट्रीम में फ्लाइंग ऑफिसर के रूप में कमीशन प्राप्त किया। मार्च 2024 में ग्रुप कैप्टन बने। सुखोई-30 MKI, मिग-21, मिग-29, जैगुआर, हॉक, डोर्नियर, और An-32 जैसे विमानों में 2,000 घंटे की उड़ान का अनुभव।
  • अंतरिक्ष प्रशिक्षण: 2019 में ISRO ने गगनयान के लिए चुना। 2020-21 में रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण लिया। 2024 में नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर, ह्यूस्टन में Ax-4 के लिए प्रशिक्षण पूरा किया। 27 फरवरी 2024 को PM नरेंद्र मोदी ने गगनयान के लिए उनके नाम की घोषणा की।
  • चयन का आधार: उनकी टेस्ट पायलट के रूप में विशेषज्ञता, युद्धक नेतृत्व, और कठिन प्रशिक्षण में उत्कृष्ट प्रदर्शन ने उन्हें Ax-4 के पायलट के रूप में चुना। ISRO के बैकअप अंतरिक्ष यात्री प्रसंथ नायर इस मिशन के लिए वैकल्पिक थे। शुभांशु की पत्नी डॉ. कामना मिश्रा, दंत चिकित्सक हैं, और उनका एक बेटा है।

मिशन में अन्य प्रमुख चेहरे
एक्सिओम-4 मिशन में चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं:

  1. पेगी व्हिट्सन (कमांडर): अमेरिका की पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री और एक्सिओम स्पेस की मानव अंतरिक्ष उड़ान निदेशक। उन्होंने तीन दीर्घकालिक मिशनों में 665 दिन और Ax-2 मिशन में 10 दिन अंतरिक्ष में बिताए, जो किसी अमेरिकी या महिला अंतरिक्ष यात्री का रिकॉर्ड है। वे ISS की पहली महिला कमांडर थीं और दो बार कमांडर रहीं। 10 स्पेसवॉक के साथ वे इस क्षेत्र में भी अग्रणी हैं।
  2. स्लावोज उज्ना-विज्निएवस्की (मिशन विशेषज्ञ): पोलैंड के वैज्ञानिक और इंजीनियर, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के प्रोजेक्ट अंतरिक्ष यात्री। 22,500 आवेदकों में से चुने गए। रेडिएशन साइंस और हाई-एनर्जी फिजिक्स में विशेषज्ञ। यह पोलैंड का 1978 के बाद पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है।
  3. टिबोर कापू (मिशन विशेषज्ञ): हंगरी के मैकेनिकल इंजीनियर और मनोरंजनात्मक स्काइडाइवर। हंगरी के HUNOR (हंगेरियन टू ऑर्बिट) कार्यक्रम के तहत 247 आवेदकों में से चुने गए। यह हंगरी का 1980 के बाद पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है।

मिशन की चुनौतियां और तैयारी
मिशन को कई बार स्थगित करना पड़ा:

  • मई 2025: प्रारंभिक तारीख, लेकिन तकनीकी कारणों से टली।
  • 10-11 जून 2025: मौसम और फाल्कन 9 में लिक्विड ऑक्सीजन रिसाव के कारण स्थगित।
  • 19-22 जून 2025: ISS के रूसी ज़्वेज़्दा मॉड्यूल में दबाव असामान्यता के कारण देरी। 25 जून को 90% अनुकूल मौसम के साथ लॉन्च सफल रहा। क्रू ने 25 मई से क्वारंटीन में रहकर और नासा, ESA, और JAXA की सुविधाओं में प्रशिक्षण लेकर तैयारी की।

वैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव
मिशन में 31 देशों के 60 प्रयोग शामिल हैं, जिनमें भारत के प्रयोग जैसे माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशी पुनर्जनन, माइक्रोएल्गी पर अध्ययन, और डायबिटीज रोगियों के लिए इंसुलिन व्यवहार्यता शामिल हैं। यह मिशन अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है और भारत के लिए गगनयान मिशन की नींव मजबूत करता है। शुभांशु की यात्रा 1.4 अरब भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतीक है, जैसा कि उन्होंने कहा, “मैं अंतरिक्ष में 1.4 अरब लोगों की उम्मीदें और सपने लेकर जा रहा हूँ।”

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