फतेहपुर सीकरी थाना क्षेत्र के उत्तू गांव में रविवार को एक दर्दनाक हादसे ने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया। राजस्थान के भरतपुर जिले के गहनोली थाना क्षेत्र के दौलतगढ़ गांव के पास चंबल जल परियोजना की पाइपलाइन खुदाई के दौरान मिट्टी की ढाय ढहने से उत्तू गांव के एक ही परिवार के 10 लोग दब गए।

इस हादसे में चार लोगों—अनुकूल (22), विमला देवी (45), योगेश कुमारी (22), और विनोद देवी (50)—की मौत हो गई, जबकि दो अन्य, दिनेश (38) और जयश्री (50), गंभीर रूप से घायल हैं। हादसे ने गांव में मातम छा दिया, और एक साथ चार अर्थियों के उठने से हर आंख नम हो गई।
चंबल जल परियोजना के तहत दौलतगढ़ के खेतों में पाइपलाइन बिछाने के लिए करीब 10-15 फीट गहरे गड्ढे खोदे गए थे। उत्तू गांव के ग्रामीण इस गड्ढे से पीली चिकनी मिट्टी निकालने गए थे, जिसका उपयोग कच्चे घरों की लिपाई और बर्तन बनाने में किया जाता है। रविवार सुबह करीब 8:30 बजे, जब ग्रामीण मिट्टी खोद रहे थे, तभी बारिश के कारण गीली हुई मिट्टी की ढाय अचानक ढह गई, और 10 लोग इसके नीचे दब गए।
स्थानीय लोगों ने चीख-पुकार सुनी और तुरंत बचाव कार्य शुरू किया। गहनोली थाना पुलिस, फतेहपुर सीकरी पुलिस, और SDRF की टीम मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। छह लोगों को मलबे से निकाला गया, लेकिन चार की मौत हो चुकी थी। अनुकूल, योगेश कुमारी, और विनोद देवी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, जबकि विमला देवी ने अस्पताल ले जाते समय अंतिम सांस ली।
गांव में शोक और अंतिम संस्कार
पोस्टमॉर्टम के बाद रविवार दोपहर करीब 1 बजे चारों शव उत्तू गांव लाए गए। मृतकों में जेठानी विनोद देवी, देवरानी विमला देवी, भतीजा अनुकूल, और भतीजा बहू योगेश कुमारी शामिल थीं। चारों शवों की एक साथ शवयात्रा निकली, और गांव के श्मशान घाट पर एक साथ चार चिताएं सजाई गईं। परिवार के सदस्य बंटू ने मुखाग्नि दी। इस दौरान आसपास के गांवों घेवरी, जंगी का नगला, सामरा, और कल्याणपुर से भी सैकड़ों लोग शामिल हुए। गांव में चूल्हे नहीं जले, और हर तरफ सन्नाटा पसरा रहा।
चैतन्य की मासूमियत ने रुलाया
हादसे में मृत योगेश कुमारी का एक साल का बेटा चैतन्य अपने पिता अमित की गोद में श्मशान घाट पहुंचा। मासूम चैतन्य को यह नहीं पता था कि उसकी मां अब कभी नहीं लौटेगी। वह कभी हंस रहा था तो कभी रो रहा था। अमित अपनी पत्नी की चिता के पास थककर बैठ गए, और चैतन्य को सीने से लगाए भावुक हो उठे। यह दृश्य देखकर भाजपा नेता रामेश्वर चौधरी और वहां मौजूद अन्य लोग भी अपने आंसुओं को नहीं रोक पाए। रामेश्वर ने चैतन्य को गोद में लेने की कोशिश की, लेकिन वह अपने पिता से चिपक गया, जिसने सभी का दिल दहला दिया।
प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल
ग्रामीणों ने चंबल परियोजना की कार्यदायी संस्था और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। उनका कहना है कि गड्ढे की कोई बैरिकेडिंग नहीं की गई थी, न ही कोई चेतावनी बोर्ड लगाया गया था। पहले भी कई बार ग्रामीणों को मिट्टी लेने से रोका गया था, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। बारिश के कारण मिट्टी गीली हो गई थी, जिससे ढाय ढहने का खतरा बढ़ गया था। समाजसेवी अरविंद चाहर ने मुख्यमंत्री से मृतकों के परिवार को 5 लाख और घायलों को 2 लाख रुपये मुआवजे की मांग की है।
प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई
भरतपुर के जिला कलेक्टर कमर-उल-जमान और CO उच्चैन अनिल डोरिया ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन में छह लोगों को निकाला गया, जिनमें से चार की मौत हो गई। घायल दिनेश और जयश्री का भरतपुर के RBM और अन्य निजी अस्पतालों में इलाज चल रहा है। फतेहपुर सीकरी और गहनोली थाना पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे पर शोक जताया और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने भी शोक व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को सांत्वना दी।
गांव का माहौल और मांगें
उत्तू गांव में इस हादसे ने गहरा शोक छोड़ दिया। अनुकूल, जो पांच दिन पहले ही जयपुर से बैंकिंग परीक्षा की तैयारी कर लौटा था, उसकी मौत ने परिवार को तोड़ दिया। ग्रामीणों ने प्रशासन से पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा मानकों को लागू करने की मांग की है।