तीज मेले की उमंग में छाया महंगाई का साया

नई दिल्ली। राखियों का मेला, कान्हा अलबेला, राधा संग रास रचाता छैल-छबीला..! जी हां, पीतमपुरा दिल्ली हाट का तीज फेस्टिवल इसी रंग में सजा है। यहां अंदर प्रवेश करते ही रंग-बिरंगी साज-सज्जा सुगंधित वातावरण मोहित कर देता है। लोगों के खिलखिलाते चेहरे अलग-अलग रंगों में सजी-संवरी महिलाएं, बच्चों के खेल-खिलौने बेहद आकर्षक हैं।

तीज मेले

मेले में प्रवेश करते ही ऊंट की सवारी का लुप्त उठाया जा सकता है। यहां आए कई लोग ऊंट की सवारी का आनंद ले रहे हैं, साथ ही लोगों के बीच काफी उत्साह देखा जा सकता है।

यह कार्यक्रम 11 से 15 अगस्त तक धूमधाम से मनाया जाएगा। इसमें सांस्कृतिक, साहित्यिक कार्यक्रमों का विशेष प्रबंध किया गया है।

तीज का ये त्योहार आईएएनए दिल्ली हाट, जनकपुरी दिल्ली हाट में भी धूमधाम से मनाया जा रहा है।

दिल्ली हाट पीतमपुरा के तीज फेस्टिवल की मेजबानी कर रहे एस.के. मल्होत्रा ने आईएएनएस से कहा, “दिल्ली हाट में 13 अगस्त को मुख्य तीज उत्सव है। यह कार्यक्रम कृष्ण भगवान के नाम पर होता है, झूले हैं, फूलों की होली है, कार्यक्रम में कृष्ण का जन्म है। मेले में लड़कियां आएंगी, गाने गाएंगी, डांस करेंगी, झूले झूलेंगी, मेहंदी लगवाएंगी।”

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उन्होंने कहा, “यहां 15 अगस्त को लेकर भी खासा इंतजाम किए गए हैं, हर साल कुछ नया होता है।”

मेले में आए लोगों के बारे में उन्होंने कहा, “मेले में लगभग 40,900 लोग इंट्री कर चुके हैं। लोगों को मजा आ रहा है।”

मेजबान मल्होत्रा ने कहा, “दिल्ली टूरिज्म के सभी प्रोग्राम लोगों को पसंद आते हैं, साहित्य कला परिषद विभाग में लड़कियों को प्रशिक्षण दिया जाता है और दिल्ली हाट में उनकी प्रस्तुति कराई जाती है।”

यह पूछे जाने पर कि पिछले साल की तुलना में लोगों में कुछ ज्यादा उत्साह है? इस पर उन्होंने कहा, “लोगों के बीच उत्साह तो है और यहां आकर उन्हें अच्छा लगता है और फिर दोबारा यहां आना पसंद करते हैं।”

उन्होंने कहा, “जब भी अच्छे प्रोग्राम होते हैं तो लोग अपने आप आते हैं और अखबारों में विज्ञापन देखकर लोगों का उत्साह बढ़ा हुआ है। आज भी बहुत बड़ा उत्सव होगा, उसमें अधिक लोगों के आने की उम्मीद है।”

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मेहंदी को लेकर विशेष कार्यक्रम के बारे में उन्होंने कहा, “मेहंदी होने वाली है और दिल्ली टूरिज्म की तरफ से मेहंदी शायद फ्री रखी गई है।”

खान-पान के स्टॉल्स के बारे में मल्होत्रा बताते हैं, “इस बार खाने-पीने की स्टॉल थोड़ी कम है, क्योंकि बाकी दुकानों पर राखी वगैरह बिक रही हैं।”

दुकानें बढ़ने के बारे में उन्होंने कहा, “इस बार कुछ अतिरिक्त दुकानें बनी हैं। पिछली बार तो खाली-खाली थी, लेकिन इस बार 130-135 से भी ज्यादा दुकानें हैं। ये भी एक प्रोग्रेस है।”

इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली टूरिज्म और दिल्ली सरकार से प्रार्थना करते हुए कहा, “ऐसे कार्यक्रम आए दिन यहां होते रहें, ताकि लोगों का मेला लगा रहे, लोग भी खुश रहें। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों को ऐसा मौका मिल जाता है कि नए लोगों से मिलते हैं, नई-नई चीजें देखते हैं।”

इस मेले में झूले इत्यादि भी लगाएं गए हैं, जो काफी लुभावने हैं। यह सभी उम्र के लोगों के लिए है। झूले पर सेल्फी क्लिक कराती महिलाएं सहज ही दिख जाएंगी, इसी तरह महिलाओं का मेहंदी लगवाना भी विशेष आकर्षण का केंद्र है, बड़ी संख्या में महिलाएं मेहंदी लगवा रही हैं।

कॉलेज के छात्र-छात्राएं हों या परिवार संग आए लोग, यहां पहुंचे हर उम्र के लोगों में उत्साह जनर आ रहा है।

यहां राखियों, पतंगों, चूड़ियों, बिंदियों व कई किस्म के शो पीसेज की खास व्यवस्था है। इसके साथ ही यहां सबसे खास दुकान मिट्टी के बर्तनों की है। ये बर्तन देखने में काफी आकर्षक हैं। ये अच्छी दिखने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी काफी अच्छे होते हैं। इसके अलावा बच्चों के खिलौने का स्टॉल आकर्षण का बड़ा केंद्र हैं। छह फीट का टेडी बियर सबका मन मोह रहा है।

मिट्टी के खूबसूरत शो-पीसेज बेहद लुभावने हैं, इनकी खूबसूरती देखते बनती है। अपनी मिट्टी से तरह-तरह की मूर्तियां, शो-पीस बनाने वाला कलाकार अपनी कलाकृतियों को महंगा बेचने को मजबूर है।

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दिल्ली टूरिज्म एंड ट्रांसर्पोटेशन डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिडेट के तहत दुकान चला रहे राजेंद्र कुमार ने सामान महंगा होने की वजह बताते हुए दुकान का कराया अधिक होना बताया। उन्होंने कहा, “मुनाफे की बात तो छोड़िए, इसमें किराया ही मुश्किल से निकल पाता है।”

मंहगे सामान की वजह से कुछ लोग बिना खरीदारी के ही लौट रहे थे। यहां विक्रेता और ग्राहक दोनों ही परेशान दिखे।

खैर, सरकार और दिल्ली टूरिज्म एंड ट्रांसर्पोटेशन डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन को यहां खानपान की दुकानों, सांस्कृतिक, साहित्यिक कार्यक्रमों को बढ़ाने और दुकानों के बढ़े किराए पर लगाम लगाने की जरूरत है, ताकि लोग मेले का भरपूर आनंद ले सकें।

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