हमारे संत

जहाँ तक प्रेम का सवाल है आप दिवालिया नहीं हो सकते : ओशो जी

भाग्य को बनाना बिगाड़ना अपने ही हाथों में: श्री मोरारी जी बापू

प्रेम कोई भावना नहीं है, यह आपका अस्तित्व है: श्री श्री रविशंकर

ध्यानपूर्वक इच्छाओं के निर्वहन से सिद्ध होंगे वांछित मनोरथ, मिलेगा आत्मज्ञान

चित्र नहीं चरित्र की पूजा करें : बाबा रामदेव

कोई मूर्तिवाला प्रभु नहीं है, जीवन ही है वास्तविक प्रभु :ओसो

कैसे हो भक्ति की ओर केन्द्रित,जिससे हो परमानंद की अनुभूति

मनुष्‍य जन्‍म से अपराधी नही होता

शरीर को बांधकर रखता है सांस का धागा

अपने-आप में भी तलाशें ईश्वरत्वः श्री श्री रविशंकर

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