
भारत के वैज्ञानिकों ने कोरोना पर विजय हासिल करने के लिए कोरोना की दवा पर काम करना शुरु कर दिया है। पुणे में लगातार दो सप्ताह से दवा का परीक्षण कर रहे हैं। इस समय हर काम बहुत ध्यान में देके किया जा रहा है। इस काम को पूरा होने में सप्ताह या महीना भी लग सकता है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार अप्रैल के पहले सप्ताह में वायरस पर ड्रग ट्रायल शुरू हो चुका है। डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी व आईसीएमआर के वैज्ञानिक वैक्सीन के शोध अध्ययन में भी जुट चुके हैं।
एनआईवी पुणे की निदेशक डॉ. प्रिया अब्राहम का कहना है, परीक्षण के लिए पहले वायरस को आइसोलेट किया गया है। एक दवा का ट्रायल करने में वैज्ञानिकों को कम से कम 10 से 12 दिन का वक्त लगता ही है। इसके बाद ही सही निष्कर्ष का पता चलता है।
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पहला मरीज मिलने के बाद से हो रही थी कोशिश, दिल्ली, लखनऊ और जयपुर के नमूने से मिली सफलता
केरल में 30 जनवरी को भारत का सबसे पहला मरीज मिलने के बाद ही वैज्ञानिकों ने जांच के साथ ही शुरुआती तीनों सैंपल पर शोध शुरू कर दिया था। हालांकि, उन्हें तीनों सैंपल को आइसोलेट (पृथक) करने में सफलता नहीं मिल सकी। वैज्ञानिकों ने बताया कि उस वक्त काफी निराशा हाथ लगी थी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
कुछ ही दिन बाद मार्च के पहले सप्ताह में दिल्ली, लखनऊ और जयपुर से मिले 12 सैंपल पर फिर अध्ययन शुरू हुआ। करीब दो सप्ताह बाद वैज्ञानिकों को इसे अलग करने में कामयाबी मिल गई।