
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में 30 जून की रात को हुए बादल फटने और बाढ़ की घटनाओं ने भारी तबाही मचाई है। गुरुवार, 3 जुलाई को थुनाग उपमंडल में एक और शव मिलने के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 16 हो गई है, जबकि 55 लोग अभी भी लापता हैं। मंडी जिला, विशेष रूप से सराज घाटी, इस आपदा का केंद्र रहा है, जहां सड़कें, पुल, बिजली, पानी, और संचार व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई है।

विनाश का मंजर
मंडी जिले के सराज क्षेत्र में 30 जून की रात को 10 बादल फटने की घटनाएं (गोहर में 4, करसोग में 3, धर्मपुर में 2, और थुनाग में 1), तीन बाढ़, और एक भूस्खलन ने भारी नुकसान पहुंचाया। सराज घाटी की 38 पंचायतें पूरी तरह कट गई हैं, क्योंकि सड़कें और पुल बह गए हैं। बिजली, पानी, और मोबाइल नेटवर्क की कमी ने राहत कार्यों को और जटिल बना दिया है। थुनाग, जरोल, देजी पखरैर, और पांडवशिला जैसे क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
हालात और नुकसान
- मृत्यु और लापता: मंडी में अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है (गोहर में 7, थुनाग में 6, करसोग में 1, जोगिंदरनगर में 1, और अन्य क्षेत्रों में 1)। 55 लोग लापता हैं, जिनमें पंगलूर गांव की दो परिवारों के 8 सदस्य शामिल हैं, जो एक मकान की छत पर शरण लेने के बाद बाढ़ में बह गए।
- संपत्ति का नुकसान: 150 से अधिक मकान, 106 गौशालाएं, 31 वाहन, 14 पुल, और कई सड़कें नष्ट हो चुकी हैं। 164 मवेशी मारे गए हैं।
- बुनियादी ढांचा: मंडी में 145 सड़कें बंद हैं, 404 ट्रांसफॉर्मर और 784 जल आपूर्ति योजनाएं प्रभावित हैं। जरोल बाजार पूरी तरह तबाह हो गया है, और थुनाग में 16 मेगावाट का हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट भी नष्ट हो गया।
राहत और बचाव कार्य
- एनडीआरएफ और एसडीआरएफ: राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की दो-दो टीमें, पुलिस, और होम गार्ड्स के साथ मिलकर थुनाग, गोहर, और करसोग में बचाव कार्य कर रही हैं। अब तक 402 लोग (मंडी में 348) बचाए गए हैं, और 5 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं।
- हवाई सहायता: सड़कों के बंद होने के कारण थुनाग और जंजैहली में 246 राहत किट (चावल, आटा, दाल आदि) हेलीकॉप्टर से पहुंचाए गए। थुनाग में वी-सैट संचार प्रणाली स्थापित की गई है।
- बचाव कार्य: थुनाग के हॉर्टिकल्चर कॉलेज से 92 प्रशिक्षुओं और जंजैहली में क्लब महिंद्रा में फंसे 60 पर्यटकों को सुरक्षित निकाला गया है।
- प्रशासनिक प्रयास: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने थुनाग और जंजैहली का हवाई सर्वेक्षण किया और प्रभावितों को राहत सामग्री वितरित की। उन्होंने प्रत्येक प्रभावित परिवार को 50,000 रुपये की तत्काल सहायता और तीन महीने तक 5,000 रुपये मासिक किराए के लिए घोषणा की।
प्रशासन और नेताओं की प्रतिक्रिया
- मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू: उन्होंने आपदा को अभूतपूर्व बताते हुए केंद्र और राज्य सरकारों से भूस्खलन और बादल फटने के कारणों की गहन जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि एक रात में 8-10 बादल फटने की घटना पहले कभी नहीं देखी गई।
- विपक्षी नेता जयराम ठाकुर: मंडी के सिराज क्षेत्र से विधायक ठाकुर ने क्षेत्र का दौरा किया और 500 मकानों के नुकसान की बात कही। उन्होंने राहत सामग्री को हवाई मार्ग से पहुंचाने की मांग की और मुख्यमंत्री से संपर्क न होने की शिकायत की।
- उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री: जल शक्ति विभाग ने 1,591 पेयजल योजनाओं को अस्थायी रूप से बहाल किया है। नुकसान का अनुमान 240 करोड़ रुपये से अधिक है।
मौसम की स्थिति और चेतावनी
मौसम विभाग ने 5 से 9 जुलाई तक भारी से बहुत भारी बारिश का नारंगी अलर्ट जारी किया है। मंडी में 30 जून को 140.7 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से 1,939% अधिक है। पच्छाद (सिरमौर) में 133.3 मिमी, मेहरा बरसार में 92 मिमी, और जट्टन बैराज में 56.6 मिमी बारिश हुई। कांगड़ा, मंडी, हमीरपुर, शिमला, सोलन, और सिरमौर में अगले 24 घंटों में बाढ़ का खतरा बना हुआ है।
चुनौतियां
- सड़कों और पुलों के ध्वस्त होने से कई गांवों तक पहुंच असंभव है।
- संचार व्यवस्था ठप होने से लापता लोगों की सटीक जानकारी जुटाना मुश्किल है।
- बिजली और पानी की कमी ने राहत कार्यों को प्रभावित किया है।
- स्थानीय लोगों ने बताया कि कई गांवों में खाद्य संकट पैदा हो गया है।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
इस आपदा ने मंडी के हजारों लोगों को बेघर कर दिया है। सिराज क्षेत्र के निवासी रिशभ और जिला परिषद सदस्य राजनी ठाकुर ने बताया कि कई परिवारों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई और घर खो दिए। कुछ लोग अभी भी अपने टूटे मकानों के पास बैठकर मदद की उम्मीद कर रहे हैं। हिमालया नीति अभियान (HNA) के अनुसार, मंडी में 332 लोग निकाले गए हैं, लेकिन दूरदराज के गांवों में तबाही का पूरा आकलन अभी बाकी है।