मोदी सरकार के खिलाफ आग उगलने वाले ‘आकाओं’ की बोलती बंद कर देगी ये रिपोर्ट

नई दिल्ली। साल 2014 में प्रधानमंत्री पद हासिल करने के बाद से ही पीएम मोदी पर आरोप लगता रहा है कि उनकी सरकार हिन्दुत्ववादी है। इस सरकार ने हमेशा मुस्लिमों के खिलाफ ही अपना रुख रखा है। हाल ही में पास होने वाले तीन तलाक बिल पर अधिकतर लोगों ने आपत्ति जताई। मुस्लिमों के अधिकांश ‘आकाओं’ ने इसे मुस्लिम विरोधी तथा शरियत के खिलाफ बताया। वहीं कोर्ट में चल रही हलाला प्रथा की सुनवाई को लेकर भी केंद्र की मंशा पर इसी तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। विपक्ष भी इन मामलों पर केंद्र को आए दिन घेरती ही रहती है। लेकिन हालिया संसदीय स्थाई समिति की रिपोर्ट के मुताबिक़ मोदी सरकार ने लोगों के विचारों के उलट काम किए हैं। बता दें मोदी सरकार ने पिछले चार वर्षों में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय के बजट में करीब 700 करोड़ रुपये का इजाफा किया है।

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मोदी पर आरोप

इधर, कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार ने अल्पसंख्यकों को मिलने वाली सब्सिडी खत्म कर ना सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय बल्कि देश के साथ खिलवाड़ कर रही है।

ध्यान देने वाली बात है कि सबका साथ, सबका विकास का नारा देने वाली मोदी सरकार ने अपने पहले बजट में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय के बजट में करीब 200 करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी की थी।

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वहीं 2013-14 के मनमोहन सिंह सरकार में इस मंत्रालय के लिए बजट आवंटन 3511 करोड़ था जिसे मोदी सरकार ने अगले ही साल 2014-15 में बढ़ाकर 3711 करोड़ कर दिया था।

इसके बाद मोदी सरकार ने 2015-16 में 3712.78 करोड़, 2016-17 में 3800 करोड़ और 2017-18 में 4195 करोड़ रुपये कर दिया था।

मंत्रालय अल्पसंख्यकों की बेहतर शिक्षा के लिए छात्र-छात्राओं को स्कॉलरशिप देता है। इसके अलावा स्किल डेवलपमेंट, हुनर, नई मंजिल, पढ़ो और सीखो योजनाओं का संचालन करता है।

खबरों के मुताबिक़ मंत्रालय से जुड़ी एक संसदीय स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए आवंटित 4,195 करोड़ के सालाना बजट का करीब 60 फीसदी हिस्सा ही खर्च किया है। करीब 40 फीसदी हिस्सा अभी भी शेष पड़ा है, जबकि वित्त वर्ष समाप्त होने में अब सिर्फ 15 दिन बचे हैं।

बता दें कि अल्पसंख्यकों को मिलने वाले इस बजट की राशि मुस्लिम, सिख. ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध समुदाय के लोगों के लोगों पर खर्च की जाती है।

पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने 40 फीसदी राशि खर्च नहीं किए जाने पर नाराजगी जताई है, जबकि केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इस तरह की खबरों से इनकार किया है और कहा है कि सरकार की पूरी कोशिश है कि इस साल के लिए आवंटित राशि इसी साल खर्च हो।

हालांकि, नकवी ने इस बात पर हैरानी जताई कि कमेटी की रिपोर्ट पब्लिक डोमेन में कैसे लीक हो गई। उन्होंने कहा कि वो इस मामले की छानबीन कराएंगे।

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