2000 करोड़ कफ सिरप तस्करी केस में STF का धमाका: बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह गिरफ्तार, दुबई भागे मुख्य आरोपी की तलाश तेज

उत्तर प्रदेश की विशेष कार्य बल (STF) ने 2000 करोड़ रुपये के अवैध कोडीन कफ सिरप तस्करी रैकेट के एक प्रमुख आरोपी, बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह को सोमवार को लखनऊ में गिरफ्तार कर लिया। आलोक सिंह, जो इस अंतरराष्ट्रीय गिरोह का अहम हिस्सा था, पर पहले ही लुक-आउट सर्कुलर जारी हो चुका था।

सूत्रों के अनुसार, आलोक ने लखनऊ कोर्ट में सरेंडर करने की अर्जी दी थी, लेकिन STF की टीम ने उसे सरेंडर करने से पहले ही धर दबोचा। यह गिरफ्तारी रैकेट के मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल और उनके साथियों के दुबई भागने के बाद आई है, जिससे जांच में नया मोड़ आ गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में खुलासा हुआ है कि इस कारोबार का पैमाना 2000 करोड़ से अधिक का है, जिसमें फर्जी फर्में, जाली बिल और सफेदपोशों की मिलीभगत शामिल है।

आलोक सिंह की भूमिका तस्करी नेटवर्क में गहरी बताई जा रही है। STF की पूछताछ में पता चला कि आलोक ने जौनपुर के रामपुर ब्लॉक से जुड़े अमित सिंह टाटा (जिसे 27 नवंबर को STF ने लखनऊ के गोमती नगर से गिरफ्तार किया था) के साथ मिलकर फर्जी मेडिकल फर्में खड़ी कीं। टाटा की गिरफ्तारी के दौरान आलोक भी मौजूद था, और दोनों पूर्व जौनपुर सांसद धनंजय सिंह से जुड़े बताए जा रहे हैं।

आलोक ने झारखंड के धनबाद में ‘देवकृपा मेडिकल एजेंसी’ नाम की फर्म में निवेश किया, जो फेंसिडिल कफ सिरप की अवैध सप्लाई का केंद्र थी। STF के अनुसार, आलोक ने पिछले एक साल में लखनऊ में ही 15 करोड़ रुपये का निवेश किया, जो तस्करी से कमाए काले धन का वॉशिंग का संकेत देता है। ED ने उसके बैंक खातों में 331 करोड़ के संदिग्ध लेन-देन का पता लगाया है, जिसमें उदयपुर की एक लग्जरी शादी से जुड़े फंड्स भी शामिल हैं।

यह रैकेट उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र समेत 7 राज्यों में फैला था, और अंततः बांग्लादेश व नेपाल तक सिरप की तस्करी होती थी। अक्टूबर 2025 में सोनभद्र पुलिस ने वाराणसी-शक्तिनगर रोड पर 1.19 लाख बोतलें (मूल्य 3.5 करोड़) जब्त कीं, जो इस जांच की शुरुआत बनी। इसके बाद गाजियाबाद में 1.5 लाख बोतलों और 8 लोगों की गिरफ्तारी हुई।

STF ने अब तक 90 से अधिक FIR दर्ज की हैं, और 30 जिलों में छापेमारी जारी है। रांची की शैलि ट्रेडर्स ने सोनभद्र की दो मेडिकल स्टोर्स को 7.53 लाख बोतलें (7.53 करोड़ मिलीलीटर) सप्लाई कीं, जो जाली ई-वे बिलों से बंगाल-बांग्लादेश बॉर्डर की ओर भेजी गईं।

मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल, उनके पिता भोला प्रसाद जायसवाल (जिन्हें 30 नवंबर को कोलकाता एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया), वरुण सिंह और गौरव जायसवाल दुबई भाग चुके हैं। भोला ने रांची-आधारित फर्मों से 25 करोड़ की आपूर्ति की थी। STF ने अब तक अमित टाटा, विभोर राणा, विशाल सिंह, बिट्टू कुमार और सचिन कुमार समेत कई गिरफ्तारियां की हैं।

पूर्व IPS अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने STF अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं, और धनंजय सिंह से कथित लिंक की जांच तेज हो गई है। यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “कोई दोषी नहीं बचेगा।” ED और इनकम टैक्स विभाग की SIT के साथ समन्वय से जांच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गई है, और UAE से प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

विपक्ष ने BJP नेताओं के संरक्षण का आरोप लगाया है, जबकि कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने न्यायिक जांच की मांग की। STF को उम्मीद है कि आलोक सिंह के बयानों से और बड़े खुलासे होंगे, जिसमें फार्मा कंपनियों के अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आ सकती है।

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