‘हसीना’ को मौत के घात उतारने का प्लान लीक, खुफिया रिपोर्ट से हुआ साजिश रचने वाले अधिकारियों का पर्दाफाश
नई दिल्ली। ‘मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है’ यह बात बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना पर एकदम सटीक बैठती है, जिनकी अब तक 11 बार हत्या की कोशिश की जा चुकी है। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि जिस देश की प्रधानमंत्री ही असुरक्षित हो वहां की जनता का क्या हाल होगा। इस बात का आंकलन स्वयं किया जा सकता है।
बता दें कि बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना की हत्या की साजिश रचने का चौकाने वाला मामला सामने आया है। ये साजिश कोई और नहीं बल्कि उनकी सुरक्षा में ही लगे ढाका के टॉप काउंटर टेररिज्म अधिकारियों ने मिलकर रची थी।
इंटरसेप्ट की खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स (SSF) के 6 से 7 जवान जोकि प्रधानमंत्री के सुरक्षा में लगे थे, वही उनपर 24 अगस्त को हमला करने की साजिश कर रहे थे।
योजना के अनुसार साजिशकर्ताओं ने बांग्लादेशी प्रधानमंत्री के ऑफिस से बहार निकलते ही उन्हें मौत के घाट उतारने की योजना बनाई थी।
बता दें इंडिपेंडेंट सोर्स और भारत-बंगलादेश के खुफिया विभाग ने भी इसकी पुष्टि की है।
बांग्लादेश की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के साथ मिलकर ये हमला किया जाना था। जेएमबी जिहादी अन्य सुरक्षा गार्डों का ध्यान हटाने के लिए शेख हसीना के ऑफिस के चारों ओर विस्फोटकों से हमला करना चाहते थे, जिससे उन्हें भागने में आसानी हो सके।
बांग्लादेशी पीएमओ से जुड़े एक अन्य शीर्ष ख़ुफ़िया अधिकारी ने बताया कि हत्या की योजना भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की योजना पर आधारित था। जिहादियों का प्लान शेख हसीना की सुरक्षा में लगे जवानों के साथ मिलकर हत्या को अंजाम देने की थी।
खुफिया अधिकारियों के अनुसार ढाका में आईएसआई प्रधानमंत्री हसीना की हत्या करके बांग्लादेश-म्यांमार सीमा क्षेत्र में अशांति और हिंसा पैदा करने की योजना पर काम कर रहा था।
ख़बरों के मुताबिक किसी भी प्रकार की सांप्रदायिक हिंसा से बचने के लिए बांग्लादेश में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है, विशेष रूप से दक्षिण-पूर्वी बांग्लादेश में जहां हजारों रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं।
प्रधानमंत्री हसीना पर हमले के प्रयास में शामिल षड्यंत्रकारियों में पाकिस्तानी जासूस एजेंसी इंटर सर्विस इंटेलिजेंस (आईएसआई) की मुख्य भूमिका मानी जा रही है। ढाका के एक खुफिया अधिकारी ने कहा कि आईएसआई के ब्रिगेडियर अशफाक दो महीने पहले लंदन में बांग्लादेश से एक शीर्ष विपक्षी नेता से मिले, तभी इस योजना की शुरुआत हुई थी।
बता दें बांग्लादेशी खुफिया एजेंसी SSF के दो प्रमुख मेजर रैंक के अधिकारियों पर पैनी नजर बनाये हुए है, जिन्होंने लंदन में उस विपक्षी नेता से मुलाकात की थी।
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भारत और बांग्लादेशी खुफिया अधिकारियों की एक संयुक्त टीम ने जेएमबी आतंकवादियों और SSF गार्डों के बीच हुई बातचीत को पकड़ा। इसके बाद हसीना को ढाका में उनके कार्यालय के बाहर एक स्थान पर रहने की सलाह दी गई थी, जहां उन्हें एक निजी सभा में शामिल होना था।
सभा को ध्यान में रखते हुए उनकी सुरक्षा में लगे जवानों ने उनके चारों ओर एक घेरा बना लिया था। ढाका के टॉप अधिकारी ने बताया कि इस पूरे ऑपरेशन में शामिल हर अंतिम व्यक्ति को पकड़ना चाहते हैं।
सूत्रों के मुताबिक इस मामले से सम्बंधित हर-एक संदिग्ध से बांग्लादेशी अधिकारियों द्वारा पूछताछ की जा रही है।
गौरतलब है कि 2009 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से अब तक 11 बार शेख हसीना की हत्या करने की कोशिश की जा चुकी है।
भारत के अतीत में एक काला दिन वो भी था जब पीएम इंदिरा गांधी को उन्हीं के दो सुरक्षा गार्डों ने 31 अक्टूबर 1984 को मौत के घाट उतार दिया था। जब वो दिल्ली में अपने निवास स्थल से दफ्तर की तरफ जा रही थीं। ठीक वैसे ही हसीना पर हमले की साजिश की जा रही थी।