
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले पर चर्चा के दौरान सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 नागरिक मारे गए, की जिम्मेदारी तय करने की मांग की और सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठाए।

प्रियंका ने कहा कि वह उन सैनिकों को नमन करती हैं, जिन्होंने वीरता से आतंकियों का मुकाबला किया। उन्होंने भारतीय सेना की बहादुरी की सराहना की, लेकिन साथ ही सरकार की गैर-जिम्मेदाराना रवैये की आलोचना की। उन्होंने कहा कि मुंबई हमले में सभी आतंकियों को तुरंत मार गिराया गया था और तत्कालीन गृह मंत्री ने इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि उनकी जवाबदेही देश की जनता के प्रति थी। लेकिन पहलगाम हमले के लिए सरकार ने कोई जिम्मेदारी नहीं ली। उन्होंने पूछा कि 22 अप्रैल को बैसारण घाटी में क्या हुआ और क्यों हुआ, इसका जवाब देश को चाहिए।
प्रियंका ने सरकार पर संसद में झूठ बोलने का आरोप लगाया और कहा कि वह अपनी पीठ थपथपाने में व्यस्त रहती है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑपरेशन सिंदूर का श्रेय लेते हैं, जैसे वह ओलंपिक मेडल का श्रेय लेते हैं, लेकिन जिम्मेदारी लेने की बात आती है तो चुप्पी साध लेते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जंग शुरू होने के बाद अचानक रुक क्यों गई और युद्धविराम की घोषणा भारतीय सरकार या सेना ने नहीं, बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने क्यों की। उन्होंने इसे सरकार की कूटनीतिक विफलता और राजनीतिक कायरता करार दिया।
गृह मंत्री अमित शाह के बयान का जिक्र करते हुए प्रियंका ने पूछा कि जब पाकिस्तान के पास शरण मांगने के अलावा कोई रास्ता नहीं था, तो सरकार ने उसे शरण क्यों दी। उन्होंने कहा कि सरकार नेहरू, इंदिरा गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी के आंसुओं तक का जिक्र करती है, लेकिन यह नहीं बताती कि जंग क्यों रोकी गई। प्रियंका ने भावुक होते हुए कहा कि उनकी मां के आंसू तब बहे थे, जब उनके पति राजीव गांधी को आतंकियों ने शहीद किया था। उन्होंने कहा कि वह पहलगाम हमले के पीड़ितों का दर्द समझती हैं, क्योंकि वह स्वयं उस दुख से गुजर चुकी हैं।
प्रियंका ने सरकार की कूटनीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि पाकिस्तानी जनरल अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ लंच कर रहे थे, जबकि भारत में लोग दुख झेल रहे थे। उन्होंने पूछा कि इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा, क्या प्रधानमंत्री जवाबदेही स्वीकार करेंगे? उन्होंने यह भी सवाल किया कि अगर ऑपरेशन सिंदूर में जहाजों का नुकसान नहीं हुआ, तो सरकार इसे सदन में बताने से क्यों हिचक रही है।
उन्होंने सरकार पर जनता के प्रति असंवेदनशील होने का आरोप लगाया और कहा कि यह सरकार केवल राजनीति, पीआर और प्रचार में लिप्त है। पहलगाम की घटना ने हर भारतीय के दिल को चोट पहुंचाई। प्रियंका ने कहा कि संसद में मौजूद ज्यादातर लोगों को सुरक्षा मिली हुई है, लेकिन बैसारण घाटी में उस दिन 26 परिवार उजड़ गए। मारे गए 26 लोगों में 25 भारतीय थे, और वहां कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि चाहे जितने ऑपरेशन कर लें, यह सच्चाई नहीं छिप सकती कि सरकार ने लोगों को असुरक्षित छोड़ दिया।