आखिर इन बच्चों का क्या कसूर जिन्हें पढ़ाई के नाम पर बे-मौत मारा जा रहा

नीरज कुमार सिंघल

सहारनपुर। आज हम आपके सामने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के सरकारी स्कूलों की एक ऐसी तस्वीर पेश करने जा रहे हैं। जोकि आपको झकझोंर कर रख देगी। सोचने को मजबूर कर देगी।

सरकारी स्कूल

एक ओर तो सरकार सर्व शिक्षा अभियान चला रही है और ज्यादा से ज्यादा बच्चों को स्कूली शिक्षा दिलाने का दिखावा किया जा रहा है। अधिकारी भी इसमें थोडा बहुत दिखावा कर अपनी पीठ खुद ही थपथपा रहे हैं।

लाइव टुडे की टीम ने जब 22 सरकारी स्कूलों की पड़ताल की तो, बड़ी भयावह तस्वीर सामने आयी। विशेष बात यह है कि यह स्कूल दूर दराज गांवों के नहीं बल्कि शहर के हैं। गांव के स्कूलों के हालात तो और अधिक ख़राब हैं।

केवल दो स्कूलों में ही बिजली के कनेक्शन और बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर मिला। तीन स्कूलों में ही प्रधान अध्यापक मिल पाए। वास्तविक हालात यह है कि शहर के 91 स्कूलों में केवल 70 अध्यापक तैनात है।

अधिकतर सरकारी स्कूलों में बिजली के कनेक्शन तक नहीं है। अँधेरे कमरों में बैठकर बच्चे पढाई कर रहे हैं। ज्यादातर स्कूलों में टॉयलेट की सुविधा नहीं है। जहां पर टॉयलेट है। वहां पर पानी नहीं आ रहा है। बच्चों को जमीन पर बैठाया जा रहा है।

इस समय 40 से 45 डिग्री टेंपरेचर के बीच क्या संभव है कि बच्चा बिना पंखे के, बिना बिजली के बैठ कर स्कूल में पढ़ाई कर लें और शिक्षक भी बिना पंखे के बच्चों को पढ़ा सकें।

ऐसे पढ़ेगा इंडिया?

गर्मी के चलते सबसे ज्यादा मुसीबत सरकारी स्कूलों के बच्चों और शिक्षकों को हो रही है। जिले के ज्यादातर स्कूलों में बिजली और पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण बच्चों को काफी मुसीबत हो रही है।

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गले की प्यास को तर करने को उन्हें पानी तक नहीं मिल रहा है। संसाधनों के अभाव में करीब एक माह से जनपद में अपना रौद्र रूप दिखा रही गर्मी की सर्वाधिक मार सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को ही झेलनी पड़ रही है।

उक्त योजना भी शिक्षा विभाग की लापरवाही की भेंट चढ़ गई। कुछ स्कूलों में वाटर टैंक टूटे पडे़ हैं। कुछ में लगे ही नहीं और कुछ में आज तक टोटियां ही नहीं लगी।

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गर्मी में सफाई के अभाव में बदबूदार शौचालयों का प्रयोग करने से बच्चों के बीमारियों की चपेट में आने की संभावना भी बनी रहती है। प्रत्येक कक्षा-कक्ष में पर्याप्त फर्नीचर, एक कार्यालय, प्रयोगशाला होनी चाहिए।

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रामेन्द्र कुमार का कहना है कि सरकार अपनी और से प्रयास कर रही है। लेकिन पर्याप्त बजट के आभाव में कुछ दिक्क्तें आ रही हैं। नगर विधायक संजय गर्ग का कहना है कि सरकारी स्कूलों के यह हालात वास्तव में चिंतित करने वाले हैं। इस मामले को वह विधानसभा में उठाएंगे।

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