महिलाओं को प्रिय ‘हरियाली तीज’, जाने क्यों है महत्वपूर्ण
13 अगस्त को भारत में हरियाली तीज का उत्सव धूम धाम से मनाया जायेगा। तीज का त्यौहार वास्तव में महिलाओं को सच्चा आनंद देता है, क्यों की ये त्यौहार मुख्य रूप से महिलाओं के लिए ही होता है। इस दिन वे रंग-बिरंगे कपड़े, चमकते गहने पहन दुल्हन की तरह तैयार होती हैं।
आज कल तो कुछ विशेष नजर आने की चाह में ब्यूटी पार्लर जाना एक आम बात हो गई है। नवविवाहिताएँ इस दिन अपने शादी का जोड़ा भी चाव से पहनती हैं।
वैसे तीज के मुख्य रंग गुलाबी, लाल और हरा है। तीज पर हाथ-पैरों में मेहँदी भी जरूर लगाई जाती है।
कब होती है हरियाली तीज –
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज कहते हैं। उत्तरभारत में यह हरियाली तीज के नाम से भी जानी जाती है। तीज का त्योहार मुख्यत: स्त्रियों का त्योहार है।
इस समय जब प्रकृति चारों तरफ हरियाली की चादर सी बिछा देती है तो प्रकृति की इस छटा को देखकर मन पुलकित होकर नाच उठता है और जगह-जगह झूले पड़ते हैं।
इस त्योहार में स्त्रियाँ गीत गाती हैं, झूला झूलती हैं और नाचती हैं। तीज सावन (जुलाई–अगस्त) के महीने में शुक्लपक्ष के तीसरे दिन मनाई जाती है।
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श्रावण शुक्ल तृतीया (तीज) के दिन भगवती पार्वती सौ वर्षों की तपस्या साधना के बाद भगवान शिव से मिली थीं। इस दिन मां पार्वती की पूजा की जाती है।
पूजा की विधि –इस दिन महिलाएं निर्जल रहकर व्रत करती है। इस दिन भगवान शंकर-पार्वती की बालू की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है।
अपने घर को साफ-स्वच्छ कर तोरण-मंडप आदि से सजाया जाता है, एक पवित्र चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सखी की आकृति (प्रतिमा) बनाएं।
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प्रतिमाएं बनाते समय भगवान का स्मरण करें। देवताओं का आह्वाहन कर षोडशोपचार पूजन करें। इस व्रत का पूजन रात्रि भर चलता है।
इस दौरान महिलाएं जागरण करती हैं, और कथा-पूजन के साथ कीर्तन करती हैं। प्रत्येक प्रहर में भगवान सदाशिव को सभी प्रकार की वनस्पतियां जैसे बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण किया जाता है।
कौन से मंत्र हैं लाभकारी –
आरती और स्तोत्र द्वारा आराधना की जाती है। भगवती-उमा की अर्चना के लिए निम्न मंत्रों का प्रयोग होता है-
ऊँ उमायै नम:,ऊँ पार्वत्यै नम:, ऊँ जगद्धात्र्यै नम:, ऊँ जगत्प्रतिष्ठायै नम:,ऊँ शांतिरूपिण्यै नम:, ऊँ शिवायै नम:- भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करें-ऊँ हराय नम:,
ऊँ महेश्वराय नम:, ऊँ शम्भवे नम:, ऊँ शूलपाणये नम:, ऊँ पिनाकवृषे नम:, ऊँ शिवाय नम:, ऊँ पशुपतये नम:, ऊँ महादेवाय नम: