भारतीय वैज्ञानिकों ने लागत से 120 गुना कम में तैयार किया प्रोजेक्ट

ब्रह्मोसनई दिल्ली। वायुसेना के अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस दागने में देश की एक अग्रणी प्रयोगशाला ने बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

जी हां, बेंगलूरु स्थित वैज्ञानिक एंव औद्योगिक अनुसंधान परिषद(सीएसआईआर) ने वर्ष 2013-14 के दौरान सुखोई में ब्रह्मोस के इंटीग्रेशन से पहले बेहद निर्णायक विंड टनल टेस्ट श्रृंखला को अंजाम दिया था।

हैरान करने वाली बात तो ये है कि इस विंड टनल टेस्ट श्रृखंला को पूरा करने के लिए रूस ने एक तरह से आसमान से तारे लाने की मांग कर दी थी। रूस ने इस टेस्ट के लिए 1300 करोड़ रुपए से अधिक की मांग की गई थी।बता दें कि रूस के लिए भी यह परीक्षण नया था क्योंकि भारत विश्व का पहला ऐसा देश है जिसने एक युद्धक विमान में क्रूज मिलाइल का इंटीग्रेशन किया है।

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तब भारतीय टीम जिसमें ब्रह्मोस, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक लिमिटेड और भारतीय वायुसेना के सदस्य थे, एनएएल का रुख किए। राष्ट्रीय सैन्य एंव अंतरिक्ष अभियानों के लिए विंड टनल टेस्ट को अंजाम देने वाली प्रयोगशाला एनएएल ने उस चुनौती को स्वीकार किया और लगभग 120 गुणा कम लागत में विंड टनल टेस्ट की सीरिज पूरी की।

एनएएल के लिए भी अपने विंड टनल में सुखोई युद्धक जैसे एक बड़े विमान से ड्रॉप टेस्ट ( बम आदि गिराने) का यह पहला अनुभव था। एनएएल के 1.5 मीटर लो स्पीड विंड टनल में मैक 0.3 की न्यूनतम गति पर भी वैज्ञानिकों ने इस महत्वपूर्ण परीक्षण को पूरा किया। इसके लिए एनएएल के नेशनल ट्राइसोनिक एयरोडायनेमिक केंद्र में सुखोई-30 एमकेआई युद्धक का एक मॉडल रिकॉर्ड समय में डिजाइन और तैयार किया गया। ट्राइसोनिक विंड टनल में सब सोनिक, ट्रांसोनिक और सुपरसोनिक स्पीड रेंज में उड़ान परीक्षण संभव है।

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एनएएल में परीक्षण से ब्रह्मोस दागने के समय विमान की उड़ान गति और विमान के विचलन कोण को समायोजित करने के लिए अहम आंकड़े मिल गए। एनएएल ने लो स्पीड और हाई स्पीड विंड टनल टेस्ट के लिए सुखोई और ब्रह्मोस मिसाइल के उचित मॉडल का उपयोग किया। एयरोडायनेमिक लोड का निर्धारण 2 फीट विंड टनल और फिर 4 फीट विंड टनल में परीक्षणों के बाद किया गया। इसमें 0.55 मैक से 1.2 मैक की गति पर हमले के लिए विभिन्न कोणों का निर्धारण किया गया।

भारत में पहली बार आसा हुआ जब एनएएल के एक्सपेरिमेंटल एयरोडायनेमिक्स डिविजन में बेहद जटिल ड्रॉप टेस्ट तका परिक्षण किया गया। इस परीक्षण के दौरान विंड टनल में मिसाइल को विमान से दागा जाता है और इस दौरान विमान की ऊंचाई, गति, मिसाइल दागने के कोण, उसका पथ आदि का विश्लेषण कर उसका निर्धारण होता हौ। सुखोई में ब्रह्मोस के इंटीग्रेशन से पहले मिसाइल दागने के कोण, उसका पथ आदि का विश्लेषण कर उसका निर्धारण होता है।

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