धर्म के साथ-साथ वैज्ञानिक निहित भी जुड़ा है सुबह उठकर धरती मां को प्रणाम करने में

घर के बड़े अक्सर हमें कुछ अच्छा ही सिखाते हैं। हमारा देश हमेशा से ही संस्कृति और सभ्यता का प्रधान देश रहा है। उसी नाते घर के बड़े अपने घर के बच्चों को कुछ न कुछ अच्छा ही सिखाना चाहते हैं। यह सभी संस्कार कहीं न कहीं हमारी माटी से जुड़े हुए हैं। यह सभी हमारी भलाई और हमारी तरक्की के लिए ही होते हैं। तो चलिए जानते हैं हमारे बड़े हमें क्या सिखाकर गए हैं।

प्रणाम

हमारे बड़े हमें सुबह उठकर धरती को प्रणाम करना सिखाकर गए हैं। चलिए जानते हैं इसका महत्व और उद्देश्य । हमारे धर्म में सुबह उठकर धरती को प्रणाम करने की सलाह इसलिए दी जाती है क्योंकि धरती हमारी पालनकर्ता है। हम सुबह से ही धरती मां को कष्ट देना शुरु कर देते हैं। हम धरती मां को प्रणाम करके अनके प्रति अभार व्यक्त कर सौभाग्य पा सकते हैं।

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सामाजिक महत्व

कहते हैं कि धरती दिनभर हमारा भार सहन करती है। इसलिए धरती को सुबह उठकर ही प्रणाम करना चाहिए। ऐसा करने से हमारा हमारे देश के प्रति प्यार बढ़ता है साथ ही धरती मां को हम अपना लगाव दिखा सकते हैं। हमें अपनी भूमि और देश के प्रति जिम्मेदारी का अहसास होता है।

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यह है प्रणाम करने का तरीका

सुबह उठकर सबसे पहले बैठे-बैठे धरती को अपने हाथ से स्पर्थ करें। और दिनभर धरती पर चलने के लिए उनसे क्षमा मागें। सुबह बैठकर जब आप धरती को प्रणाम करते हैं तो आपका पूरा शरीर झुकता है। जिस वजह से शरीर की हड्डी और जोड़ों की अकड़न पूरी तरह दूर हो जाती है।

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