क्लोन साइंस में बड़ी कामयाबी, भेड़ के बाद लैब में तैयार हुए बंदर

नई दिल्ली| विज्ञान के जरिये जीवन को वास्तविक स्वरुप देने में विज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी मिली है. वैज्ञानिकों ने कृत्रिम तरीके से बंदरों को तैयार करने में सफलता पाई है. वैज्ञानिकों ने इसे तैयार करने के लिए उसी तकनीक का इस्तेमाल किया जो करीब दो दशक पहले डॉली नाम की भेड़ को तैयार करने में किया गया था.

कृत्रिम तरीके से बंदरों

चीन में झोंग-झोंग और हुआ-हुआ नाम के 2 अफ्रीकन लंगूर कृत्रिम तरीके से तैयार किए गए हैं. इनको तैयार करने के लिए स्तनपायी जीव बंदरों, एपिस और मानवीय चीजों का सम्मिश्रण किया गया.

इनका जन्म 6 से 8 हफ्ते पहले हुआ. इनका क्लोन गैर भ्रूण कोशिका से तैयार किया गया.

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इस पूरी प्रक्रिया को सोमैटिक सेल न्यूक्लियर ट्रांसफर (SCNT) के जरिए किया गया जिससे सेल को गर्भ में भेजा गया था.

दोनों नवजात बंदरों को बोतल के जरिए दूध पिलाया जा रहा है और उनका विकास सामान्य तरीके से हो रहा है. रिसर्च से जुड़े लोगों का कहना है कि अगले कुछ महीनों में ऐसे ही और अफ्रीकी लंगूरों के क्लोन तैयार किए जा सकते हैं.

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शंघाई स्थित चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस का कहना है कि इस काम से बंदरों के जरिए बढ़ने वाली बीमारियों पर रोकथाम के लिए ऐसे मेडिकल रिसर्च वरदान साबित होंगे.

हालाँकि लंदन में फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट में क्लोन तैयार करने में महारत हासिल करने वाले रॉबिन लॉवेल-बेज जो चीनी टीम के साथ इस काम में शामिल नहीं थे. उनका कहना है कि यह बहुत प्रभावहीन और बेहद खतरनाक प्रक्रिया थी.

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