भारत के वार पर चीन का पलटवार, कहा- मसूद के खिलाफ हमारा रुख निष्पक्ष, संकुचित सोंच में ‘मोदी’

आतंकवादी मसूद अजहरबीजिंग। चीन ने गुरुवार को भारत द्वारा पाकिस्तानी आतंकवादी मसूद अजहर को बचाने के लिए बीजिंग की आलोचना करने पर कहा कि इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में बीजिंग का निर्णय ‘निष्पक्ष’ रहा है।

भारत ने बुधवार को चीन की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) प्रमुख अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने केप्रस्तावों को बार-बार खारिज किए जाने की आलोचना की थी।

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संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सईद अकबरुद्दीन ने चीन का नाम लिए बिना परिषद से कहा कि आतंकवाद के खिलाफ परिषद में सभी देशों का सहयोग नहीं मिल पा रहा है और आतंकवाद के खिलाफ प्रयास संकीर्ण राजनीति व एवं सामरिक फायदे का शिकार बन रहे हैं।

चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि बीजिंग के पास भारत द्वारा लगाए गए आरोपों के साथ कोई लेना-देना नहीं है।

विदेश मंत्रालय प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, “आपने संकीर्ण राजनीतिक विचारों का उल्लेख किया है लेकिन हमें लगता है कि हमने आसानी और स्पष्ट तरीके से काम किया है। हमारा संकुचित मस्तिष्क वाले राजनीतिक विचारों के साथ कोई लेना-देना नहीं है।”

उन्होंने कहा, “हमें कहना पड़ेगा कि हम अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के विभिन्न रूपों पर सुद्रढ़तापूर्वक कार्रवाई करते हैं और इस पर हम इस मामले की योग्यता के आधार पर अपना निर्णय लेते हैं। जैसे हमने कहा कि समिति में प्रांसगिक कदम समिति की प्रक्रिया के नियमों के अनुसार उठाए जाते हैं और हम अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए विभिन्न दलों के साथ काम करेंगे।”

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पठानकोट में स्थित वायुसेना के अड्डे पर हुए आतंकवादी हमले के मास्टमाइंड मसूद अजहर को पिछले महीने चीन ने संयुक्त राष्ट्र में वीटो शक्ति का इस्तेमाल करके अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका के प्रयास को नाकाम कर दिया था।

इससे पहले भारत ने चीन की आलोचना करते हुए कहा कि चीन “संकीर्ण राजनीतिक और सामरिक फायदे” के लिए सुरक्षा परिषद द्वारा मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने पर रोड़ा अटकाता रहा है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने चीन का नाम लिए बिना बुधवार को परिषद को बताया, “आतंकवाद से निपटने के लिए सभी देश सहयोग नहीं कर रहे हैं। कुछ देश अपने संकीर्ण राजनीतिक एवं सामरिक फायदे में लगे हुए हैं।”

सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, “आतंकवादियों और संस्थाओं को महफूज ठिकानें मुहैया कराने जैसे गंभीर विषय पर परिषद प्रतिबंध समितियां कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई है।”

पिछले महीने चीन ने वीटो शक्ति का इस्तेमाल करके मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका की कोशिश को नाकाम कर दिया था। अजहर पठानकोट में स्थित वायुसेना के अड्डे पर हुए आतंकवादी हमले का मास्टमाइंड है और अभी पाकिस्तान में रह रहा है।

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अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए जटिल समकालीन चुनौतियों पर बहस के दौरान बोलते हुए अकबरुद्दीन ने कहा कि “आतंकवाद” एक आम चुनौती है जिस पर इस परिषद को बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है। इस मुद्दे पर सभी के हितों के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के विस्तार की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, “लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस खतरे को और राष्ट्र एवं समाज के लिए इसकी गंभीरता को समझा नहीं जा सका है।”

आतंकवाद के वैश्वीकरण के कारण अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिए खतरा बढ़ता जा रहा है। यह सीमा पार से संचालित की जाती है और “घृणित विचारधाराओं एवं कभी-कभी कथित शिकायतों” को फैलाने का काम करती है। इन संगठनों को सीमा पार से आर्थिक सहायता, हथियार और आतंकवादी मुहैया कराए जाते हैं।”

उन्होंने परिषद की वैधता और आज की जटिल चुनौतियों से निपटने में इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाया।

उन्होंने कहा, “हम उन साधनों से हमारा उद्धार नहीं कर सकते जो अब वैध नहीं माने जाते और जिनकी विश्वसनीयता खत्म हो चुकी है। नई चुनौतियों को हल करने के लिए हम पुराने तरीकों का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।”

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