गोरखपुर के चक्रव्यूह में फंसे सीएम योगी, भारी पड़ रहा ये ब्राह्मण चेहरा!

लखनऊ: सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ का गढ़ गोरखपुर एक बार फिर सुर्ख़ियों में है. 3 मार्च को यूपी की फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं. बीजेपी ने इन दोनों सीटों पर अपने कैंडीडेट घोषित कर दिए हैं, फूलपुर सीट से कौशलेंद्र सिंह पटेल तथा गोरखपुर से उपेन्द्र शुक्ला को उम्मीदवार बनाया है.

योगी आदित्यनाथ

सूत्रों के हवाले से खबर है की टिकट सीधे बीजेपी हाईकमान के इशारे पर दिए गये हैं. इसमें योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ केशव प्रसाद मौर्या को भी निराशा का सामना करना पड़ा है, दोनों ही अपने करीबियों के लिए टिकट की मांग कर रहे थे.

यह भी पढ़ें : मुस्लिमों ने पेश की अनूठी मिसाल, हिन्दुओं के लिए बदला इबादत का समय

योगी के उप्र का मुख्यमंत्री बनने के साथ गोरखपुर की सीट पर सबकी नज़रें टिकी थीं. योगी गोरखनाथ पीठ के मुख्य पुजारी कमलनाथ को मैदान में उतारना चाहते थे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. राजनितीक विश्लेषकों की मानें तो तो यह योगी के लिए एक तगड़ा झटका है.

ये पहली बार नहीं है कि योगी आदित्यानाथ की बात को नजरंदाज़ किया गया है, इससे पहले भी पार्टी हाईकमान ने गोरखपुर में मेयर चुनाव के वक्त योगी की पसंद को दरकिनार करते हुए सीताराम जायसवाल को टिकट दिया था.

यह भी पढ़ें : आचार संहिता उल्लंघन पर आयोग से जवाब तलब, हाईकोर्ट ने दिया तीन हफ्ते का वक्त

इस पूरे प्रकरण अगर कुछ हुआ है तो वो है शिव प्रताप शुक्ला के कद का बढ़ना. शिव प्रताप शुक्ला के कहने पर ही इस बार उपचुनाव में गोरखपुर से उपेंद्र दत्त शुक्ल को टिकट दिया है. शिव प्रताप शुक्ल भी गोरखपुर से ही आते हैं. इस समय वे केंद्र सरकार में वित्त राज्य मंत्री के पद पर हैं. शिव प्रताप गोरखपुर में ब्राह्मणों का प्रमुख चेहरा माने जाते हैं.

शिव प्रताप शुक्ल को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का करीबी माना जाता है. 2013 में अमित शाह के गोरखपुर के महासचिव बनने के समय से वो उनके संपर्क में थे. इसका इनाम उन्हें 2016 में राज्यसभा सांसद के रूप में मिला था.

LIVE TV