शत्रुघ्न सिन्हा ने की उत्तराखंड में सिविल कोड की तारीफ, कहा नॉन वेज पर हो बैन

देश भर में मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध का हवाला देते हुए अभिनेता-राजनेता ने कहा कि हालांकि वह इस कदम का समर्थन करते हैं, लेकिन कुछ हिस्सों में इसे लागू करना मुश्किल होगा।

वरिष्ठ अभिनेता और तृणमूल कांग्रेस के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के क्रियान्वयन की प्रशंसा की है , लेकिन साथ ही इस तरह के कानून को पूरे देश में लागू करने में खामियों की ओर भी इशारा किया है। मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध का हवाला देते हुए अभिनेता-राजनेता ने कहा कि हालांकि वह इस तरह के कदम का समर्थन करते हैं, लेकिन देश के कुछ हिस्सों में इसे लागू करना मुश्किल होगा।

संसद के बाहर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “देश के कई हिस्सों में गोमांस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मेरा मानना ​​है कि देश में न केवल गोमांस बल्कि सामान्य रूप से मांसाहारी भोजन पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए। हालांकि, कुछ स्थानों पर अभी भी गोमांस खाना कानूनी है, जिसमें पूर्वोत्तर भी शामिल है। वहा खाओ तो यम्मी, पर हमारे उत्तर भारत में खाओ तो मम्मी।”

सिन्हा ने कहा, “लेकिन यह काम नहीं करेगा, प्रतिबंध हर जगह लागू किया जाना चाहिए, सिर्फ कुछ हिस्सों में ही नहीं।”

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन को सराहनीय बताते हुए सिन्हा ने इसकी बारीकियों के प्रति आगाह किया। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता में खामियां हैं। यह भाजपा का एक प्रमुख वादा है, जिसके तहत विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, गोद लेने आदि मामलों में सभी धार्मिक समुदायों के लिए एक ही कानून का प्रावधान है।

उन्होंने जोर देकर कहा, “समान नागरिक संहिता के प्रावधानों का मसौदा तैयार करने से पहले एक सर्वदलीय बैठक अवश्य बुलाई जानी चाहिए। इस मुद्दे पर सभी की राय और विचार जानने के लिए उनसे परामर्श किया जाना चाहिए। समान नागरिक संहिता को चुनावी या वोट बैंक की रणनीति के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे सावधानी और सतर्कता के साथ निपटाया जाना चाहिए।”

27 जनवरी को उत्तराखंड भारत की स्वतंत्रता के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य बन गया।

उत्तराखंड नागरिक संहिता में सभी विवाहों के साथ-साथ लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। इसके प्रमुख प्रावधानों में बेटे और बेटियों के लिए समान संपत्ति अधिकार, तलाक के लिए समान आधार और लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चों के लिए वैधता शामिल है।

पुष्कर धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने विवाह, तलाक और उत्तराधिकार के पंजीकरण को सुचारू बनाने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया है।

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