हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी बागियों को किया बोल्ड

वोटिंग का अधिकारनई दिल्ली। उत्तराखण्ड के बागी कांग्रेस विधायकों को झटका लगा है। हाईकोर्ट ने फ्लोर टेस्ट के दौरान उन्हें वोटिंग का अधिकार देने से मना कर दिया है। सोमवार को नैनीताल हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया। इस झटके से परेशान बागी विधायकों ने तत्काल सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है। बागियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करे और उन्हें वोटिंग का अधिकार दिलाए। लेकिन शाम को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए बागियों को राहत नहीं दी।

वोटिंग का अधिकार देने से इनकार

अब यह तय हो गया है कि 10 मई को उत्तराखण्ड विधानसभा में हरीश रावत के फ्लोर टेस्ट के दौरान बागी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे। बागी विधायकों की सदस्यता पर सुप्रीम कोर्ट 12 जुलाई को सुनवाई करेगा। यानी हरीश रावत की सरकार बनी तो बागी बिना काम के रह जाएंगे।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बागियों की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जो योग्य हों, वही वोट दें। इसके बाद हाईकोर्ट ने आज बागियों पर अहम फैसला सुना दिया है।

सु्प्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक कल यानी 10 मई को उत्तराखण्ड विधानसभा में हरीश रावत को फ्लोर टेस्ट यानी शक्ति प्रदर्शन का सामना करना है। कल दोपहर 11 से 1 बजे तक राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाया जाएगा। एक बजने के बाद राज्य में दोबारा राष्ट्रपति शासन लग जाएगा। बहुमत परीक्षण का नतीजा 11 मई को आएगा।

उत्तराखण्ड विधानसभा

71 विधायकों वाली उत्तराखंड विधानसभा में बीएसपी के 2 और अन्य चार विधायकों के हाथ में सत्ता की चाबी है। अगर बागी विधायकों को वोटिंग का मौका मिला तो 71 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 36 हो जाएगा और बीजेपी के 27 विधायकों के साथ कांग्रेस के नौ बागी विधायक वोट करेंगे। ऐसे में बीजेपी को आसानी से बहुमत मिल जाएगा. बीजेपी के एक विधायक को निकाल दिया गया है।

वहीं अगर बागी विधायकों को वोटिंग का मौका नहीं मिला तो सदन की संख्या 62 रह जाएगी। तब बहुमत के लिए 32 विधायक चाहिए होंगे। बीजेपी के 27 और कांग्रेस के 27 विधायक होंगे। कांग्रेस का दावा है कि बीएसपी और अन्य के छह विधायक उनके साथ हैं, जबकि बीजेपी की नज़र भी इन्हीं छह में से पांच विधायकों पर है।

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