येदियुरप्पा सरकार ने विधानसभा में साबित किया बहुमत, किसानों के लिए उठाया यह कदम…

कर्नाटक के सियासी वार पर फिलहाल अभी विराम नहीं लगा है। येदियुरप्पा सरकार ने विधानसबा में बहुमत साबित कर दिया है। इस बात पर सदन में राजनीतिक पार्टियों के बीच गमागर्मी का भी माहौल जारी है।  किसानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने राज्य में पीएम किसान योजना के तहत लाभार्थियों को 2000 रुपये की 2 किस्तें देने का फैसला किया है।

येदियुरप्पा सरकार

वहीं सिद्धारमैया ने सरकार को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मैं उन परिस्थितियों के बारे में बोल सकता था जिसके तहत येदियुरप्पा सीएम बने। मैं उनके अच्छे भविष्य की कामना करता हूं और उनके इस आश्वासन का स्वागत करता हूं कि वह लोगों के लिए काम करेंगे।

रविवार को राज्य विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश ने दल बदल कानून के तहत कांगेस-जेडीएस के 14 और बागी विधायकों को अयोग्य करार दे दिया है। यह कार्रवाई तब की गई, जब कर्नाटक में चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले बीएस येदियुरप्पा को सोमवार को सदन में बहुमत साबित करना है। इससे पहले बीते बृहस्पतिवार को 3 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले से येदियुरप्पा की अगुवाई वाली भाजपा सरकार को सदन में कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है, क्योंकि 17 विधायकों (14 कांग्रेस और 3 जेडीएस) की अयोग्यता के साथ 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में विधायकों की मौजूदा संख्या अब 207 हो जाएगी। यानी अब बहुमत के लिए भाजपा सरकार को 104 सदस्यों का समर्थन चाहिए। जबकि एक निर्दलीय के साथ आने से भाजपा के पास 106 विधायक हैं। वहीं, कांग्रेस के विधायकों की संख्या अब 66 (एक नामित भी शामिल), जेडीएस की 34 ही रह गई है।

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दरअसल, अरसे से चल रहे कर्नाटक के सियासी नाटक में मंगलवार को उस वक्त मोड़ गया आ था, जब सदन में विश्वास मत परीक्षण के दौरान कुल 20 विधायक जिसमें 17 बागी विधायकों के अलावा कांग्रेस, बसपा के 1-1 विधायक और एक निर्दलीय विधायक अनुपस्थित रहे थे। इसके चलते 14 माह पुरानी कुमारस्वामी की अगुवाई वाली कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाई थी। विश्वास मत परीक्षण में कुमारस्वामी के पक्ष में 99 और भाजपा के पक्ष में 105 वोट पड़े थे।

अब उपचुनाव में अग्निपरीक्षा

इस फैसले से 2023 में विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने तक ये 17 अयोग्य विधायक विधानसभा का उपचुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। हालांकि, अगर समय से पहले विधानसभा भंग हुई तभी 2023 से पहले ये फिर से विधायक बन सकते हैं। वहीं, फिलहाल भाजपा को वैसे तो कोई खतरा नहीं है, मगर उपचुनाव होने की स्थिति में उसे बहुमत बनाए रखने के लिए 17 सीटों में से कम से आधी तो जीतनी होगी।

दल-बदल विरोधी कानून का उल्लंघन किया, इसलिए अयोग्य: स्पीकर

विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने कहा, तीनों सदस्यों ने स्वेच्छा से और सही तरीके से इस्तीफा नहीं दिया, इसलिए इसे अस्वीकार कर दिया गया। विधायकों ने संविधान (दलबदल विरोधी कानून) की 10वीं अनुसूची के प्रावधानों का उल्लंघन किया, इसलिए अयोग्य करार दिए गए।

विधानसभा अध्यक्ष को भी छोड़ना होगा पद

इससे पहले भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार को पद छोड़ने के लिए कह दिया है जो पारंपरिक तौर पर सतारूढ़ पार्टी के किसी सदस्य के पास होता है। अगर वह सोमवार को स्तीफा नहीं देते हैं तो भाजपा उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी।

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अयोग्य करार दिए गए विधायक जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

अयोग्य करार दिए गए जेडीएस विधायक एएच विश्वनाथ ने स्पीकर के फैसले को कानून विरोधी बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि सिर्फ व्हिप जारी करके विधायकों को जबरन सदन में आने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। हम फैसले के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
 

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