सावन के दूसरे सोमवार को भोले के भक्तों ने किया जलाभिषेक, सभी शिव मंदिरों में भारी भीड़

REPORT- KASHI NATH SHUKLA/VARANASI

वैसे तो काशी में सात वार और नौ त्यौहार मनाने का शहर माना जाता हैं मगर सावन का पर्व यहाँ उत्सव माह कहलाता है । सावन में भोले के भक्त पुरे देश में बाबा का जलाभिषेक करते है लेकिन काशी में सावन का विशेष महात्म जुड़ता है.

जहाँ हर भक्त बाबा का जलाभिषेक करना चाहता है यही कारण हैं कि यहाँ हर सावन में लाखो की संख्या में श्रद्धालू आते है।

कांवरिया

सावन के दूसरे सोमवार के दिन चारो दिशाओं में महादेव भोलेनाथ के जयकारे के साथ कंधो पर कांवर में जल लिए कांवरिया मीलों की दुरी तय कर श्रीकाशी विश्व्नाथ को जल चढ़ाने के लिए आते नज़र आए।

मान्यता हैं की इस माह में बाबा भोलेनाथ को जल चढ़ाने से वो प्रसन्न होते हैं।  मान्यता हैं की जब समुद्र मंथन हुआ तो उस वक्त उसमे से विष निकला जो संसार को जलाने लगा था तब भोले नाथ खुद आगे आकर संसार को बचाने के लिए उस विष को पी लिए और उसे अपने कंठ में ही उसे रोक लिया जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया।

ये देख देवता गण उन्हें जल से अभिषेख करने लगे तब भोलेनाथ को उसके जलन से आराम हुआ और तभी से इस माह में सावन मनाया जाने लगा ,इसीलिए बाबा का इस माह में जलाभिषेक किया जाता हैं।

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सावन के सोमवार को बाबा के जलाभिषेक के लिए दूर दूर से भक्त काशी आते हैं। बाबा से अपने मन की मुराद पूरी करने की दुआ ले कर कई जगहों से काँवरिया काशी पहुंच रहे हैं।

कोई अपने परिवार की सुख शांति के लिए बाबा से प्रार्थना कर रहा है तो कोई बेहतर भविष्य के लिए। बाबा से मन्नत मांगने के लिए आए कांवरिये घण्टो घण्टो बाबा के दर्शन को महादेव रहते हैं।

हालांकि, प्रशासन की तरफ से जो इंतेज़ाम किये गए हैं उनसे सभी कांवरिये संतुष्ट दिखे।

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