ट्रंप का दावा: पाकिस्तान और चीन परमाणु परीक्षण कर रहे, भारत के लिए खतरे की घंटी?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीबीएस न्यूज के ’60 मिनट्स’ इंटरव्यू में चौंकाने वाला खुलासा किया है कि पाकिस्तान और चीन, रूस तथा उत्तर कोरिया के साथ मिलकर, गुप्त रूप से परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं।

ट्रंप ने अमेरिका द्वारा 33 साल बाद परमाणु परीक्षण फिर शुरू करने का बचाव करते हुए कहा कि ये देश भूमिगत विस्फोट कर रहे हैं, जिनकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती। उनका कहना था कि अमेरिका एक खुला समाज है, इसलिए वह पारदर्शी रहता है, जबकि अन्य देश चुपके से परीक्षण करते हैं। भारत के लिए यह बयान गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि उसे पाकिस्तान और चीन—दो परमाणु संपन्न पड़ोसियों—से दो तरफा खतरा है। ट्रंप ने यह भी दोहराया कि मई 2025 में उन्होंने व्यापारिक प्रतिबंधों की धमकी देकर भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध होने से रोका था।

ट्रंप ने इंटरव्यू में कहा, “रूस परीक्षण कर रहा है, चीन परीक्षण कर रहा है, लेकिन वे इसके बारे में बात नहीं करते। हम अलग हैं, हम खुलकर बताते हैं।” उन्होंने पाकिस्तान पर भी सीधा आरोप लगाया, “उत्तर कोरिया तो परीक्षण कर ही रहा है, पाकिस्तान भी कर रहा है।”

उनका तर्क था कि अमेरिका के पास दुनिया को 150 बार तबाह करने लायक हथियार हैं, फिर भी परीक्षण जरूरी है ताकि वह पीछे न रह जाए। उन्होंने दावा किया कि ये परीक्षण इतने गुप्त होते हैं कि वैश्विक निगरानी स्टेशन भी इन्हें पकड़ नहीं पाते, सिर्फ हल्की कंपन महसूस होती है।

मई 2025 के भारत-पाकिस्तान तनाव पर ट्रंप ने फिर दावा किया कि दोनों देश परमाणु युद्ध के मुहाने पर थे। उन्होंने कहा, “भारत पाकिस्तान के साथ परमाणु युद्ध करने वाला था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री खड़े हो गए। अगर मैं हस्तक्षेप न करता, तो लाखों लोग मर जाते। हवाई जहाज गिर रहे थे। मैंने दोनों को चेतावनी दी कि रुको, वरना अमेरिका के साथ व्यापार बंद।” यह दावा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान के तनाव से जुड़ा है, जब भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमला किया था।

भारत के लिए यह स्थिति इसलिए खतरनाक है क्योंकि पाकिस्तान के पास करीब 170 और चीन के पास 600 परमाणु हथियार हैं, जबकि भारत के पास 180।

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि परमाणु परीक्षणों की होड़ शुरू हुई, तो भारत की ‘नो फर्स्ट यूज’ नीति पर दबाव बढ़ेगा। भारत ने ट्रंप के पिछले दावों को सिरे से खारिज किया था, लेकिन अब सतर्कता बरतनी होगी। वैश्विक स्तर पर भी यह बयान परमाणु निरस्त्रीकरण संधियों को कमजोर कर सकता है।

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