आज आएगा मोदी सरकार का पहला बजट, तैयार होगा ‘न्यू इंडिया’ का रोडमैप

नौकरी, रोजगार, कृषि, कमजोर मॉनसून और बुनियादी विकास की चिंता के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज संसद में बजट पेश करेंगी. लोकसभा चुनाव में विशाल जनादेश पाने के बाद बनी नरेंद्र मोदी सरकार 2.0 का ये पहला बजट है. इस बजट के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के न्यू इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए ठोस कदम बढ़ाने की चुनौती है. नरेंद्र मोदी सरकार को झोली भर-भर कर वोट देने के बाद जनता-जनार्दन अब टकटकी लगाकर बैठी है कि निर्मला के पिटारे से उनके लिए क्या निकलता है?

मोदी सरकार

प्रचंड ताकत के साथ कमबैक करने वाली मोदी सरकार के सामने इस बार चुनौतियां लाइन लगाकर खड़ी हैं. नौकरी और रोजगार के मोर्चे पर फेल रहने का तगड़ा आरोप झेल रही इस सरकार को लाखों जॉब्स पैदा करने के लिए अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर निवेश करना होगा. इसके लिए इच्छाशक्ति के साथ-साथ पूंजी भी चाहिए. ये निवेश कहां से आएगा सरकार के सामने ये चुनौती है. इसके अलावा बढ़ता राजकोषीय घाटा, जीडीपी का गिरता आंकड़ा, मॉनसून की तिरछी चाल, कच्चे तेल के बाजार में पैदा हो रही हलचल, बैंकों की खस्ता हालत, हांफ रही पब्लिक सेक्टर की कंपनियां और लाचार बैठे किसान जैसे कई मुद्दे हैं जो इस बजट की तस्वीर तय कर देंगे. सरकार के सामने सामाजिक न्याय का वादा है तो बाजार के अपने कायदे भी. इनके भी सामंजस्य बिठाकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को आज ऐसा बजट पेश करना होगा जो न तो जनता को कड़वी लगे न ही जिसे देखकर बाजार घबराए.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बजट को लेकर उस वक्त आ रही हैं कि जब कई रिपोर्ट से पता चला है कि भारत के आर्थिक विकास में गिरावट आई है. गुरुवार को सरकार ने जब संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया तो मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यम ने कहा कि पीएम मोदी ने 2024 तक देश की अर्थव्यवस्था को 5000 अरब डॉलर का बनाने का जो लक्ष्य रखा है उसे हासिल करने के लिए 8 फीसदी का विकास दर चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मंचों पर भारत की  अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई पर ले जाने की बात कह चुके हैं.

मोदी सरकार-2 का बजट पेश करेंगी निर्मला सीतारमण, आम जनता को रहेंगी ये उम्मीदें

बता दें कि पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में आर्थिक विकास की दर पांच साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचकर 6.8 पर आ गई. उम्मीद जताई गई है कि अगले वित्तीय वर्ष यानी कि 2019-20 में विकास दर में मामूली बढ़ोतरी ही संभव है और ये 7 फीसदी तक पहुंच सकता है.

अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए सरकार कुछ ऐसे प्रावधानों की घोषणा कर सकती है कि जिससे लोगों की खर्च करने की क्षमता बढ़े. रिपोर्ट के मुताबिक सरकार आयकर स्लैब में बदलाव कर सकती है और इसे 2.50 लाख से बढ़ाकर 3 लाख तक किया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक आयकर की धारा 80 (C) के तहत मिलने वाली कटौती को भी बढ़ाया जा सकता है. सरकार के इन कदमों से गवर्नमेंट स्पेंडिंग को बढ़ावा मिल सकता है.

माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइज सरकार के फोकस एरिया में रह सकते हैं. माना जा रहा है कि सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यमों पर सरकार कॉरपोरेट टैक्स में कटौती कर सकती है. बजट में सरकार रोड और रेलवे जैसे बुनियादी सेक्टर के विकास पर और ज्यादा खर्च का ऐलान कर सकती है, ताकि आर्थिक विकास को रफ्तार मिल सके.ऑटोमोबाइल सेक्टर से मिल रहे आंकड़े भी निराशाजनक है.

बजट में रोजगार सृजन सरकार का मुख्य एजेंडा रहने वाला है. हाल ही में एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक बेरोजगारी का आंकड़ा 45 साल के उच्चस्तर पर पहुंच गया है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि विकास की धीमी रफ्तार की वजह नई नौकरियों का न हो पाना भी है. आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि रोजगार सृजन के लिए सरकार को बड़े पैमाने पर निवेश करना पड़ेगा.

लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने घोषणापत्र में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का फायदा सभी किसानों को देने का वायदा किया है. यही नहीं पार्टी ने गरीब किसानों और दुकानदारों को भी 60 साल की आयु के बाद पेंशन देने का वादा किया है. सरकार के बजट में इससे जुड़ी घोषणाएं भी की जा सकती है. सभी किसानों को सम्मान निधि का फायदा देने से इस मद में सरकार का खर्च 75 हजार करोड़ से बढ़कर 90 हजार करोड़ हो गया है. मॉनसून की मतवाली चाल सरकार को परेशान कर रही है. जून महीने में मॉनसून की बारिश 33 फीसदी कम हुई है. इस वजह से खरीफ फसलों की बुआई कम हुई है. सरकार बजट में इसकी भारपाई के लिए कुछ इंतजाम करती है या नहीं इसका लोगों को इंजतार रहेगा.

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