बैंक ऑफ बड़ौदा को छोड़ना पड़ेगा देश

जोहानिसबर्ग यहां विवादों से घिरी एक फैमली से ताल्लुकात रखना बैंक ऑफ़ बड़ौदा को भारी पड़ गया। हालांकि बैंक कोशिश में जुटा हुआ है कि उसे देश में किसी तरह का नुकसान न उठाना पड़े। लेकिन साउथ अफ्रीका की रिजर्व बैंक ने इस बैंक को देश से बाहर का रास्ता दिखाने का ऐलान जारी कर दिया है। बता दें साउथ अफ्रीका की चर्चित गुप्ता फैमिली इससे पहले प्रेसिडेंट जैकब जुटमा के साथ लिंक होने को लेकर विवादों में थी।

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बैंक ऑफ़ बड़ौदा

गुप्ता फैमिली मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले की रहने वाली है। इन्होंने 1993 में भारत से साउथ अफ्रीका का रुख किया था। बेहद कम समय में इस फैमिली ने अपना कारोबार ऐसा बढ़ाया कि उस देश में ही इनका सिक्का चलने लगा।

गुप्ता फैमिली में 4 भाई हैं, जिनके नाम अजय गुप्ता, अतुल गुप्ता और राजेश गुप्ता उर्फ टोनी है। इसके अलावा उनके एक चचेर भाई वरुण गुप्ता भी इनमें शामिल हैं।

इनका साउथ अफ्रीका में कंप्यूटर बिजनेस के अलावा माइनिंग अैर मीडिया से जुड़ा बड़ा कारोबार है। सहारा ग्रुप साउथ अफ्रीका) के नाम से ये फैमिली कारोबार करती है, जिसमें सहारा कंप्यूटर भी शामिल है।

खबरों के मुताबिक़ सोमवार को साउथ अफ्रीकन रिजर्व बैंक (एसएआरबी) ने कहा, ‘ऑफिस ऑफ द रजिस्ट्रार ऑफ बैंक्स से बैंक ऑफ बड़ौदा को साउथ अफ्रीका से जाने की सूचना दे दी गई है।’

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एक स्टेटमेंट के मुताबिक, ‘ साउथ अफ्रीका से व्यवस्थित तरीके से निकासी सुनिश्चित करने के लिए रजिस्ट्रार बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ लगातार बात कर रहा है, जिससे बैंक को कोई नुकसान नहीं हो।’

गौरतलब है कि रजिस्ट्रार एसएआरबी का ही हिस्सा है। बयान में यह भी कहा गया कि एसएआरबी इस मसले पर और कोई टिप्पणी नहीं करेगा। बैंक ऑफ बड़ौदा की स्थानीय ब्रांच से इस मसले पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।

बता दें बैंक ने पोर्ट सिटी डरबन में एक दशक तक एक ऑफिस चलाने के बाद वहां पर अपनी पहली ब्रांच वर्ष 2007 में खोली थी।

भारत सरकार के स्वामित्व वाला बैंक अप्रैल 2016 में गुप्ता ब्रदर्स अजय अतुल और राजेश के साथ-साथ बिजनेस की इच्छा जाहिर करके जांच के दायरे में आ गया था।

गुप्ता फैमिली पर पहले से ही प्रेसिडेंट जुमा और उनके फैमिली मेंबर्स के साथ मिलीभगत से सरकारी संपत्ति पर कब्जे के आरोप लग रहे थे।

साउथ अफ्रीका के सभी बड़े बैंकों द्वारा गुप्ता फैमिली की कंपनियों के अकाउंट्स बंद किए जाने के बाद उनके मालिकाना हक वाली कंपनी ओकबे रिसोर्सेज ने एक स्टेटमेंट में कहा था, ‘बड़े स्थानीय बैंकों द्वारा उनके लिए सर्विसेज बंद किए जाने के बावजूद उन्हें एक बड़े एशियाई बैंक की सेवाएं मिलती रहेंगी, जो साउथ अफ्रीका में मौजूद है। इस बैंक ने उसके नाम का उल्लेख नहीं करने का अनुरोध किया है।’

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