अब विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति आरक्षण के आधार पर नहीं विभागीय आधार पर होगा

दिल्ली। विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण विभागिय आधार पर होगा, न कि विश्वविद्यालय को इकाई मानकर। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि नियुक्ति में दिए जाने वाले आरक्षण में विश्विद्यालय को नहीं बल्कि विभाग को इकाई माना जाएगा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट

इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने वर्ष 2017 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश में दखल से इनकार कर दिया जिसमें शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण संबंधी विश्विद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की गाइडलाइंस को दरकिनार कर दिया गया था।
जस्टिस यू.यू ललित और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा हाईकोर्ट का फैसला तार्किक है। अगर आरक्षण विभागवार नहीं होगा तो किसी खास विभाग के छात्र कैसे आवेदन करेंगे। कोर्ट ने सरकार के उस आग्रह को भी ठुकरा दिया कि कानून का प्रशन खुला रहने दिया जाना चाहिए।

सरकार द्वारा यह करने पर कि हाइकोर्ट के फैसले से शिक्षकों की भर्ती नहीं हो पा रही है। पीठ ने कहा कि याचिका खारिज हो गई है। लिहाजा मामले में कुछ नहीं बचा।

ऐसा किया तो लाभार्थियों की संख्या कम हो जाएगी
एडीशनल सॉलीसिटर जनरल संजय जैन ने कहा विभाग को यूनिट माना जाएगा या विषय के हिसाब से आरक्षण दिया जाएगा तो लाभार्थियों की संख्या कम हो जाएगी जबकि आरक्षण का सिद्धांत यह है कि अधिकतम लोगों को इसका लाभ मिले।

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संतरे से सेब की तुलना कैसे कर सकते हैं: कोर्ट
मामले में कोर्ट ने टिप्पणी की कि भूगोल के प्रोफेसर की तुलना शरीर रचना विभाग के प्रोफेसर से कैसे कर सकते हैं? आप संतरे की तुलना सेब से कर रहे हैं। यह शैक्षणिक पद अलग-अलग विभाग के होते हैं। लिहाजा आपस में नहीं बदल सकते। इसलिए विश्वविद्यालय को यूनिट नहीं मान सकते।

हाईकोर्ट ने सात अप्रैल 2017 के फैसले में यह कहा
शिक्षकों की नियुक्ति में विश्वविद्यालय को यूनिट माना गया तो कुछ विभागों में सिर्फ आरक्षित वर्ग के लोग रहेंगे और कुछ में अनारक्षित। जो तार्किक नहीं है। यूजीसी की गाइडलाइन संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के विपरित हैं। इसलिए आरक्षण विभागवार लागू हो।

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दलों ने की थी अध्यादेश की मांग
इस फैसले से आरक्षण लागू न हो पाने का आरोप लगा अपना दल, सपा, बसपा समेत कई दलों ने पीएम मोदी से हस्तक्षेप करने और फैसला पलटने के लिए अध्यादेश लाने की मांग की थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

बीएचयू के विज्ञापन पर याचिका
हाईकोर्ट ने यह फैसला विवेकानंद तिवारी व अन्य की याचिका पर दिया था। याचिका में बीएचयू द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापन को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि आरक्षण विभागवार होना चाहिए।

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