
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले पर चर्चा के दौरान कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले कर कई वांछित आतंकियों को मार गिराया। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 नागरिकों की हत्या का बदला लेने के लिए की गई।
शाह ने कांग्रेस और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम पर निशाना साधते हुए आतंकियों के पाकिस्तानी होने के सबूत पेश किए और उनकी मंशा पर सवाल उठाए। उन्होंने ऑपरेशन की समय-रेखा और भारत की रणनीतिक ताकत का भी जिक्र किया।
अमित शाह के प्रमुख बयान:
- ऑपरेशन सिंदूर की सफलता: 7 मई को भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। भारतीय डीजीएमओ ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष को इस कार्रवाई की सूचना दी। ऑपरेशन सिंदूर में 100 से अधिक आतंकी मारे गए। यह 7 मई को रात 1:04 से 1:24 बजे के बीच हुआ, जिसमें पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकाने नष्ट किए गए। इस दौरान कोई भी पाकिस्तानी नागरिक नहीं मारा गया।
- पाकिस्तान का आतंकी चेहरा बेनकाब: ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान के राज्य प्रायोजित आतंकवाद को उजागर किया। मारे गए आतंकियों के अंतिम संस्कार में पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य कमांडर और आईएसआई अधिकारी मौजूद थे।
- कांग्रेस पर हमला: शाह ने कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने पहलगाम हमलावरों के पाकिस्तानी होने पर सवाल उठाकर पाकिस्तान को क्लीन चिट दी। शाह ने पूछा, “पाकिस्तान को बचाकर चिदंबरम को क्या मिलेगा? 130 करोड़ भारतीय उनकी साजिश देख रहे हैं।” उन्होंने बताया कि मारे गए तीनों आतंकियों—सुलेमान, अफगान और जिबरान—के पास से पाकिस्तानी वोटर आईडी और पाकिस्तान में बनी चॉकलेट बरामद हुईं।
- पाकिस्तानी आतंकियों की पहचान: ऑपरेशन महादेव में मारे गए तीनों आतंकी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे। सुलेमान उर्फ फैजल जाट पाकिस्तान सेना की स्पेशल सर्विस ग्रुप का पूर्व कमांडो था। एनआईए ने आतंकियों को पनाह देने वालों को पहले ही हिरासत में ले लिया था, जिन्होंने शवों की पहचान की। बरामद एम9 और एके-47 राइफलों का चंडीगढ़ एफएसएल में मिलान किया गया, जिससे साबित हुआ कि इन्हीं हथियारों से पहलगाम हमला हुआ।
- नेहरू और कांग्रेस की गलतियां: शाह ने कहा कि 1948 में भारतीय सेना पीओके वापस लेने की स्थिति में थी, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एकतरफा युद्धविराम घोषित कर दिया। 1971 के शिमला समझौते में भी कांग्रेस ने पीओके का मुद्दा भुला दिया। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान कांग्रेस की गलती है। अगर विभाजन स्वीकार नहीं किया होता, तो आज पाकिस्तान नहीं होता।”
- चीन और नेहरू का जिक्र: शाह ने आरोप लगाया कि नेहरू की नीतियों के कारण भारत आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं है। उन्होंने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि जब डोकलाम में भारतीय जवान चीनी सैनिकों का सामना कर रहे थे, तब राहुल गांधी चीनी राजदूत से मुलाकात कर रहे थे।
- मनमोहन सिंह सरकार पर तंज: शाह ने कहा कि यह मनमोहन सिंह की सरकार नहीं है, जो आतंकी हमलों के बाद चुप रहकर डोजियर भेजती थी। 9 मई को भारत ने पाकिस्तान के 11 हवाई अड्डों पर हमले किए, जिनमें से आठ पर सटीक हमलों ने पाकिस्तान की हवाई रक्षा प्रणाली को हिलाकर रख दिया।
- पाकिस्तान की हरकतें: शाह ने बताया कि भारत ने नागरिक और सैन्य ठिकानों को निशाना नहीं बनाया, फिर भी पाकिस्तान ने भारतीय रिहायशी इलाकों पर हमले शुरू किए। 10 मई को पाकिस्तानी डीजीएमओ ने भारत से युद्धविराम की अपील की, जिसके बाद 12 मई को युद्धविराम पर सहमति बनी।
- जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर आंकड़े: शाह ने बताया कि 2004-2014 के बीच जम्मू-कश्मीर में 7200 आतंकी घटनाएं हुईं, जिनमें 714 नागरिक और 1068 सुरक्षाकर्मी मारे गए। 2015-2025 के बीच 1525 आतंकी घटनाएं हुईं, 324 नागरिक और 542 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए, लेकिन आतंकियों को मारने की संख्या 162% बढ़ी।
- आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख: शाह ने कहा कि धारा 370 हटाने से जम्मू-कश्मीर में आतंकी ढांचा ध्वस्त हुआ। उन्होंने हुर्रियत के साथ बातचीत से इनकार करते हुए कहा कि यह एक आतंकी संगठन है।
शाह ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आतंकियों के मारे जाने पर उन्हें खुशी होनी चाहिए, लेकिन वे सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए प्रतिबद्ध है और राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं होगा।