विश्व फोटोग्राफी दिवस : जानिए उन मुस्लिम महिलाओं के बारे में जो बना रही हैं अपनी किस्मत की तस्वीर
लखनऊ : सनतकदा फिल्म स्टूडियो लखनऊ में मुस्लिम महिलाओं और लड़कियों को फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की कला सिखाने, उनके तकनीकी कौशल का निर्माण करने और मीडिया में काम करने वाली स्वतंत्र महिलाओं के रूप में अपनी पहचान स्थापित करने की एक अनूठी पहल है।
लोगो का मानना है कि फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी ये तो सिर्फ पुरुष ही कर सकते है| क्योंकि मीडिया की दुनिया पारंपरिक रूप से पुरुष प्रधान रही है इसलिए इसमें महिलाओं के लिए खुद को स्थापित करना बहुत मुश्किल था। लेकिन अब ऐसा कुछ नही है ऐसा साबित किया है सनतकदा फिल्म स्टूडियो की इन तीन महिलाओं आयशा खातून, सायरा खान और कहकशां बेग ने जिन्होंने अपने लिए मीडिया में जगह बनाई है| और आज वह इस क्षेत्र में ही पुरुषों के साथ बराबरी से अपने बल पर महिलाओं का समर्थन करते हुए खुद का व्यापार कर रही है| जिसमें वह एक मजबूत नारीवादी नज़रिए के साथ, महिलाओं के मुद्दों और अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाती है| तोआज हम आपको विश्व फोटोग्राफी दिवस के मौके पर बता रहे हैं उन तीन मुस्लिम महिलाओं के बारे में जो बना रही हैं खुद अपनी किस्मत की तस्वीर …
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फोटोग्राफी की शौकीन सायरा खान
सायरा खान लखनऊ में गढ़ी कनोरा कि रहने वाली हैं इनको पड़ने लिखने का बहुत शौक था पर आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण यह सिर्फ कक्षा 5 तक ही पड़ी सकी| सायरा बताती है जब मैं लीगों को फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी करते हुए देखती थी तो मेरा भी मन करता था कि मैं भी फोटोग्राफी करू, लेकिन घर वालों कि आर्थिक स्थिति ठीक न होने कारण मुझे इजाज़त नही मिली | फिर भी मैंने हार नही मानी, मैंने अपनी अम्मी से बहुत कहा तक मेरी अम्मी ने मेरा साथ दिया| फिर मैं सद्भावना ट्रस्ट जो कि एक संस्था है उससे मैंने मुफ्त में 2 साल लगातार जुड़कर सभी तकनीक सीखी और आठ से डॉक्यूमेंट्री फिल्में बना रही हूँ|
नारीवादी नज़रिए के साथ वीडियोग्राफी-फोटोग्राफी करना आयशा खातून
लालबाग निवासी आयशा खातून को वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी दोनों ही करना बहुत पसंद है वो हमेशा से ही शादियों में जब आदमियों को वीडियोग्राफी या फोटोग्राफी देखती थी तो वो खुद से सवाल करती थी कि आखिर हर शादी में पुरुष ही क्यों शूट करता है? शायद उनका यही जुनून था जो वर्त्तमान समय में एक प्रोफेशनल फिल्म मेकर बनी और अब वह स्कूल- कॉलेज में वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कार्यशाला भी करती है|
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आयशा बताती है कि दो भाइयों में वह अकेली थी|घर से निकलने फोटो खीचने और सोशल का इस्तेमाल करने नही दिया जाता था इसके बावजूद हारन मान कर मैंने वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी सिखा|
डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने का जुनून रखने वाली कहकशां बेग…
आनंद नगर कॉलोनी, सआदतगंज लखनऊ की निवासी कहकशां बेग पिछले 10 सालों से सनतकदा फिल्म स्टूडियो से जुड़ कर एक फिल्म निर्माता के रूप में कार्य कर रही है| यह अब तक 3000 डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के लिए काम कर चुकी है|
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कहकशां कहती है कि माली हालत ठीक न होने के कारण किसी तरह घर वालों ने पढ़ाया-लिखायां|लाख कोशिशों के बाद फोटोग्राफी शुरू कर पाई| पहले हैंडीकैप से वीडियोग्राफी करती थी| अब एक प्रोफेशनल कैमरे का इस्तेमाल करती हूँ|
इनके फिल्म निर्माताओं द्वारा बनाई गई फिल्मों को आप इनके यूट्यूब चैनल Sanatkada Film Studio Lucknow Women पर देख सकते है|