उत्तराखंड के 82 गांवों में लगातार घट रही है बालिकाओं की संख्या, लिंगानुपात की जांच में जुटे 26 अधिकारी

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के 82 गांवों में बालिकाओं के कम लिंगानुपात की जांच शुरू कर दी गई है। कुल 26 जिला स्तरीय अधिकारी घर-घर जाकर जांच करेंगे। जिला प्रशासन की ओर से सभी अधिकारियों को मातृ प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य पोर्टल का पूरा आंकड़ा उपलब्ध करा दिया गया है।

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जिले के जिन 82 गांवों की जांच कराई जा रही है, उनमें भटवाड़ी के 19, डुंडा के 12, चिन्यालीसौड़ के 10, नौगांव के 19, पुरोला के आठ और मोरी के 14 गांव शामिल हैं। जिलाधिकारी डा.आशीष चौहान ने इन अधिकारियों को घर-घर जाकर छह बिंदुओं की जांच कर रिपोर्ट जल्द से जल्द प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। बालक एवं बालिकाओं के लिंगानुपात को लेकर जिले में अभी तक जिले के विभिन्न अस्पतालों और घरों पर होने वाले प्रसव के आधार पर ब्लाक एवं जिला स्तर पर तैयार की जाती थी।

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इस बार आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से ग्रामवार रिपोर्ट तैयार कराए जाने पर चौंकाने वाले आंकड़े आए। आशाओं की रिपोर्ट के अनुसार बीते तीन माह में जिले में कुल 935 प्रसव हुए, जिसमें 496 बेटे और 439 बेटियां पैदा हुईं। इसमें चौंकाने वाली बात यह रही कि जिले के 133 गांवों में सिर्फ बेटे ही पैदा हुए, जबकि 129 गांवों में सिर्फ बेटियां ही पैदा हुईं। जबकि इसी अवधि में स्वास्थ्य विभाग द्वारा पेश आंकड़ों में जिले में कुल 961 प्रसव हुए, जिसमें 468 बेटे और 479 बेटियां पैदा हुईं। 14 नवजातों की प्रसव के दौरान मृत्यु हो गई।

 

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