योगी के मंत्री ने बढ़ाई पार्टी की मुश्किलें, जनसभा कर CM को बताया भ्रष्टाचारी

यूपी निकाय चुनावलखनऊ। यूपी निकाय चुनाव में जीत का ताज किस पार्टी के सिर पर लगेगा ये तो वक़्त ही बताएगा। हालांकि कोई भी पार्टी अपनी जीत के लिए तनिक भी कोर कसर नहीं छोड़ रही है। लेकिन बीजेपी के साथ विधानसभा चुनाव में गठबंधन करने वाली “सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी” ने निकाय चुनाव में बीजेपी के खिलाफ ही प्रत्याशी उतार दिए हैं। ख़बरों की मानें तो निकाय चुनाव में गठबंधन को लेकर बीजेपी रार पैदा कर दी है।

यही नहीं सुभासपा के नेता लगातार योगी सरकार पर ही हमले कर रहे हैं, जबकि वह खुद सरकार के साथ शामिल है। माना जा रहा है कि नगर निकाय चुनाव के बाद पार्टी गठबंधन को लेकर कड़े फैसले ले सकती है। बता दें कि इससे पहले नगर निकाय चुनाव में गठबंधन को लेकर योगी सरकार में सहयोगी “अपना दल सोनेलाल” ने पहले ही किनारा कर लिया था।

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बड़ी बात ये है कि सुभासपा ने ऐलान किया तह कि वह इस निकाय चुनाव में प्रत्याशी नहीं उतारेगी। लेकिन 4 विधायकों के साथ योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने प्रत्याशी उतारने का ऐलान कर दिया।

इतना ही नहीं ओम प्रकाश राजभर अपने प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार में लगातार योगी सरकार पर हमले भी करते दिख रहे हैं। वह सीधा आरोप लगाते हैं कि योगी सरकार में भ्रष्टाचार बढ़ा है। जिस काम की फीस 500 रुपए है, उसी काम के लिए अफसर 5000 रुपए ले रहे हैं।

बीजेपी ओम प्रकाश राजभर के इस रुख से कितनी खफा है, ये पिछले दिनों सामने भी आ गया। जब प्रदेश के होमगार्ड व नागरिक सुरक्षा राज्यमंत्री अनिल राजभर ने बलिया में एक सभा में सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को एहसान फरामोश बता डाला।

उन्होंने कहा कि ओमप्रकाश 18 साल से अपनी पार्टी चला रहे हैं, लेकिन उन्हें हल्दी नहीं लगी। बीजेपी ने ही पिछले विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश को 8 सीट देकर उन्हें विधानसभा तक पहुंचाने के साथ मंत्री बनाया।

उधर बीजेपी सूत्रों के अनुसार इस गठबंधन में बढ़ रही तल्खी से पार्टी अलाकमान को सूचित किया जा चुका है। फिलहाल बीजेपी इस मामले को ज्यादा तूल देने से बच रही है।

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इस पूरे मसले पर बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि “सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ हमारा विधानसभा चुनावों में गठबंधन था। निकाय चुनाव में हमारा गठबंधन नहीं है। सुभासपा के अंदर अपनी पार्टी के विस्तार को लेकर छटपटाहट है। इसमें कई तथ्यहीन आरोप भी पार्टी बीजेपी पर लगा रही है, जो चुनाव के मौके पर उनको लाभ दे सके। सुभासपा के आरोपों में कोई दम नहीं है। क्योंकि अगर दम होता तो वे सत्ता के भागीदार नहीं होते।

राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि “ताली दोनों हाथों से बजती है। अगर सुभासपा गठबंधन नहीं जारी रखना चाहेगी तो उनकी इच्छा। बड़े दल के नाते हम जहां—जहां भी गठबंधन में रहे हें, वहां हम सहयोगियों को साथ लेकर ही चलते हैं।

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