जब घंमड बढ़ने लगता है तब इंसान ईश्वर से दूर हो जाता है

अच्छा जीवन जीने के लिए अच्छे मार्ग पर चलना बहुत आवश्यक है। कभी-कभी हम अपनी जिंदगी में कब अंहकार के मार्ग पर चलने लगते हैं हमे पता ही नहीं चलता है। लेकिन जब हमारे अंदर घमंड बढ़ने लगता है तब ही हमारा विकास होना रुक जाता है और हमारा विनाश होना शुरू हो जाता है। कई बार हम भूल जाते हैं कि सद्गुणों का हमारी जिंदगी में होना कितना आवश्यक होता है।

इंसान ईश्वर

कुछ लोगों को इस बात का घंमड होता है कि उनसे अच्छा तो कोई और हो ही नहीं सकता है। वह ही सबसे ज्यादा पढ़े लिखे हैं। जो काम वह करते हैं उस काम से अच्छा वह काम तो काम तो कोई कर ही नहीं सकता है। कुछ लोगों को अपने धन का घंमड होता है। लोगों का यही घमंड उनको एक दिन डुबो देता है।

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अपने अहंकार को काबू में न रखा जाए, तो फिर इंसान सच्चाई की जिंदगी नहीं जी पाता क्योंकि जहां पर घमंड आ जाता है, वहां पर आदमी बढ़-चढ़ कर बातें करना शुरू कर देता है, वह सच्चाई को भी बदल देता है। झूठी चीज को भी ऐसे दिखाएगा जैसे वह सच्ची हो। उसकी जिंदगी सच्चाई से दूर होनी शुरू हो जाती है। महापुरुष समझाते हैं कि इंसान अहंकार में सच्चाई से बहुत दूर चला जाता है। उसे अंदर से लगता है कि सब उसकी वाह-वाह करें। किसी की मदद करने के बजाय वह इंसान अपनी बड़ाई में ही लगा रहता है। अहंकार के कारण ही इंसान को गुस्सा भी आता है। अगर एक अहंकारी आदमी आया और सामने वाला भी अहंकारी निकल आया, तो पहला अपनी बात करेगा पर दूसरा उसकी बात सुनेगा नहीं। पहला सुनाना चाह रहा है, दूसरा सुन नहीं रहा, तो पहले के अंदर गुस्सा बढ़ता ही चला जाएगा।

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जब हम संसार की मोह माया त्याग कर केवल प्रभु की भक्ति में लगते है तब ही हमें प्रभु की प्राप्ति होती है। जब दिल से ईश्वर को याद किया जाता है तो प्रभु दर्शन जरूर देते हैं। प्रभु को पाने के लिए अनेक तप करने पड़ते हैं। कहते हैं ना भगवान हमारे ही अंदर है कही बस जरूरत है तो ईश्वर को पहचानने की।

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