अयोध्या विवाद न सुलझा तो अगला सीरिया बनेगा भारत : श्री श्री रविशंकर

नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर मामला तूल पकड़ता जा रहा है. धार्मिक सहभागिता रखने वाले लोगों के जुड़ने के कारण मामले पर नित नये बयानों का दौर जारी है. श्रीश्री रविशंकर की मध्यस्थता करने के बाद मुस्लिम समुदाय में भी सियासत का रंग चढना शुरू हो चुका है. मौलाना सलमान नदवी और रविशंकर की बैठक के बाद नतीजों के कयास लगाए जा रहे थे लेकिन ओवैसी के विरोध के बाद मामला शांत पड़ गया.श्री श्री रविशंकर

मामला का सामाजिक मान्यताओं और हिन्दू आस्थाओं से जुड़ाव होने के कारण कोर्ट ने भी आपसी सहमति पर जोर दिया था लेकिन आब श्रीश्री का जो बयान आया है वास्तव में उसके मायने भयावह हो सकते हैं. कोर्ट के बाहर अयोध्या विवाद को सुलझाने की कोशिशों में जुटे आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर का कहना है कि विवाद नहीं सुलझा तो देश सीरिया बन जाएगा.

ऑर्ट ऑफ लिविंग के प्रमुख श्री श्री रविशंकर पहले भी मन्दिर निर्माण को कोर्ट के बाहर ही सुलझाने की वकालत करते रहे हैं और सोमवार को उन्होंने फिर इसी बात पर जोर दिया कि अयोध्या में राममंदिर मुद्दे को कोर्ट से बाहर ही सुलझाया जाना चाहिए.

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उन्होंने कहा कि धर्म की चादर लपेटे हुए इस मामले में फैसला कोर्ट से आया तो भी कोई राजी नहीं होगा. अगर फैसला कोर्ट से होगा तो किसी एक पक्ष को हार स्वीकार करनी पड़ेगी. ऐसे हालात में हारा हुआ पक्ष अभी तो मान जाएगा लेकिन कुछ समय बाद फिर बवाल शुरू होगा जो समाज के लिए अच्छा नहीं होगा साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग उनके प्रयास की आलोचना कर रहे हैं क्योंकि वो विवाद को बढ़ाना चाहते हैं.

मंदिर स्थल पर अस्पताल बनाने का सुझाव बेवकूफी भरा है और भगवान राम को किसी दूसरे स्थान पर पैदा नहीं कराया जा सकता.

सलमान नदवी का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें इस प्रकरण पर किसी भी तरह से पैसे का ऑफर नहीं दिया गया है. यह वही नदवी हैं जिन्होंने कोर्ट से बाहर सुलह समझौते का समर्थन किया था, जिनके सुझाव को मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड ने खारिज करते हुए बोर्ड से बाहर ही कर दिया. उन्होंने कहा कि इस्लाम विवादित जमीन पर इबाबत करने की इजाजत नहीं देता.

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हालांकि अयोध्या विवाद पर समझौते का नया फॉर्मूला सुझाने वाले मौलाना नदवी के सुर बदल गए हैं. मौलाना नदवी ने अब अपना रुख बदलते हुए विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने की वकालत की है जबकि पहले वो आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के साथ मिलकर कोर्ट के बाहर मसले का हल तलाशने की बात कर रहे थे.

8 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद की सुनवाई हुई थी. कोर्ट ने सभी पक्षों को दो हफ्ते के अंदर मामले से जुड़े कागजात लाने को कहा था. मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने साफतौर पर निर्देश दिया कि वह इस मामले की सुनवाई एक जमीनी विवाद के तौर पर ही करेंगे.

किसी भी धार्मिक भावना और राजनीतिक दबाव में सुनवाई नहीं की जाएगी.

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