नई दिल्ली। एक शरणार्थी कैंप का दौरा करने के बाद एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने लिब्रेशन वार के दौरान आए एक करोड़ बंगाली शरणार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, “अगर हमारी 16 करोड़ बांग्लादेशियों को खाना खिलाने की क्षमता है तो हम लोग 7 लाख शरणार्थियों को भी खाना खिला सकते हैं।”
म्यांमार के रखीन क्षेत्र में 24 अगस्त के बाद फैली हिंसा के बाद करीब 5 लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुस्लिमों ने सीमा पार कर बांग्लादेश में शरण ली है।
बता दें शरणार्थी कैंप का दौरा करने और राहत सामग्री बांटने के बाद शेख हसीना इस कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंची थीं।
शेख हसीना ने रोहिंग्या कैंपों का दौरा किया
उन्होंने कहा, ‘मैंने मानवता के नाते रोहिंग्या मुस्लिमों की मदद करने का फैसला किया है। मैंने देश के लोगों से कहा कि वे लोग जितना भी हो रोहिंग्या मुस्लिमों की मदद करें।’
साथ ही शेख हसीना ने कहा, ‘मैंने इंटरनेशनल कम्यूनिटी से कहा है कि म्यांमार सरकार पर उसके नागरिक वापस लेने के लिए दबाव बनाएं। बांग्लादेश शांति चाहता हैं और वह पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाना चाहता है। लेकिन वह म्यांमार सरकार के इस कदम को स्वीकार नहीं कर सकता।
उन्होंने सवाल उठाया ‘क्या म्यांमार सरकार के पास अन्तरात्मा नहीं है? कुछ लोगों की वजह से वे सैंकड़ों-हजारों लोगों को कैसे भगा सकते हैं?’
हसीना ने साथ ही स्थानीय प्रशासन को आदेश दिए हैं कि बीमार और घायल रोहिंग्या मुस्लिमों को अस्पताल में अच्छा इलाज मुहैया करवाया जाए।
इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह अपने राजनीतिक मतभेदों को परे रखते हुए रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों की मदद के लिए किये जा रहे मानवीय प्रयासों में सहयोग करें।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन डुजारीक ने न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में अपने दैनिक दोपहर संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, ‘हमने रोहिंग्या मुस्लिमों की साथ हो रही दुखद घटनाओं पर चिंताओं को स्पष्ट रूप से जाहिर किया है। ये लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर किए गए हैं। जिस तरह की खबरें और तस्वीरें हमारे पास आ रही है वह दिल को दुखाने वाली है।’
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उन्होंने कहा, ‘मैं मानता हूं कि पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपने राजनीतिक मतभेदों के बावजूद इस दिशा में किये जा रहे मानवीय प्रयास में सहयोग करना चाहिए। सरहद पार करने वाले ये लोग बहुत ही कमजोर और असुरक्षित हैं। ये लोग भूखे और कुपोषित हैं, इन्हें मदद मिलनी ही चाहिए।’
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