ऑपरेशन सिंदूर पर फारूक अब्दुल्ला के बयान पर शशि थरूर की प्रतिक्रिया: ‘आतंकवाद 1989 से जम्मू-कश्मीर से फैला, जांच चल रही तो अनुमान न लगाएं’

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (जेकेएनसी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के बयान पर संतुलित प्रतिक्रिया दी है। थरूर ने आतंकवाद को देश की गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि यह 30 वर्षों से मौजूद है और 1989-1990 में जम्मू-कश्मीर से शुरू होकर मुंबई, पुणे, दिल्ली तक फैल गया। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की जांच पर जोर देते हुए कहा कि अभी नतीजों का अनुमान लगाना उचित नहीं।

थरूर ने एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा, “आतंकवाद एक गंभीर समस्या है, जो पिछले 30 वर्षों से हमारे देश में मौजूद है। कुछ मायनों में, यह 1989-1990 में जम्मू-कश्मीर से शुरू हुआ था और वहां से लगातार बढ़ता गया, फिर मुंबई, पुणे, दिल्ली तक फैल गया।” उन्होंने फारूक अब्दुल्ला के बयान का संदर्भ देते हुए जोड़ा कि ऑपरेशन सिंदूर और पूरे मामले में जांच जारी है, इसलिए जल्दबाजी में निष्कर्ष निकालना सही नहीं।

फारूक अब्दुल्ला का विवादास्पद बयान

यह विवाद तब शुरू हुआ जब जेकेएनसी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने श्रीनगर में नौगाम पुलिस स्टेशन विस्फोट के बाद ऑपरेशन सिंदूर पर तीखा बयान दिया। उन्होंने कहा, “मैं उम्मीद करता हूं कि ऑपरेशन सिंदूर जैसी कोई घटना फिर नहीं होगी। इससे कुछ हासिल नहीं हुआ। हमारे 18 लोग मारे गए और सीमा की सुरक्षा कमजोर हुई।” अब्दुल्ला ने भारत-पाकिस्तान संबंधों में सुधार की जरूरत पर जोर देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शब्द दोहराए, “दोस्तों को बदला जा सकता है, लेकिन पड़ोसियों को नहीं।” उन्होंने दोनों देशों से संवाद बढ़ाने की अपील की।

फारूक का बयान नौगाम विस्फोट से जुड़ा था, जहां फरीदाबाद आतंक मॉड्यूल से जब्त विस्फोटकों के हैंडलिंग के दौरान 9 लोगों की मौत हो गई। अब्दुल्ला ने इसे ‘हमारी गलती’ बताया और विस्फोटकों को सही तरीके से हैंडल न करने का दोष स्थानीय अधिकारियों पर डाला। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और भाजपा समेत कई दलों ने इसे पाकिस्तान समर्थक बताया।

ऑपरेशन सिंदूर क्या था?

ऑपरेशन सिंदूर मई 2025 में भारत का एक प्रमुख सैन्य अभियान था, जो जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले (26 नागरिक मारे गए) के जवाब में शुरू हुआ। यह पहला त्रि-सेवा (आर्मी, नेवी, एयर फोर्स) ऑपरेशन था, जिसमें पाकिस्तान और पीओके में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के आतंकी कैंपों पर सटीक हवाई हमले किए गए। ऑपरेशन का नाम पहलगाम हमले में विधवाओं के सम्मान में ‘सिंदूर’ रखा गया। थरूर ने खुद इसे सराहा था, कहा था, “देश पर गर्व है। हमने बिना संघर्ष बढ़ाए अपना संदेश दे दिया।” यह अभियान पाकिस्तान के साथ तनाव बढ़ाने वाला था, लेकिन अमेरिकी हस्तक्षेप से युद्ध टल गया।

थरूर की प्रतिक्रिया को विपक्ष के भीतर संतुलन की कोशिश माना जा रहा है, जहां एक ओर आतंकवाद की निंदा की गई तो दूसरी ओर जांच पर जोर दिया गया। भाजपा ने फारूक के बयान को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ’ बताते हुए निंदा की, जबकि कांग्रेस ने थरूर के बयान से दूरी बनाई। यह घटना भारत-पाकिस्तान संबंधों और कश्मीर मुद्दे पर नई बहस छेड़ रही है।

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