‘स्कॉर्पियन किंग’ हैं यहां के लोग, गांजा-भांग नहीं करता असर तो पीते हैं बिच्छू का जहर

दुनिया भर के करोड़ों लोग नशा करते हैं। ये कोई नई बात नहीं है। इंसान के लिए यह ना जाने कब से यूं ही चला आ रहा है। हालांकि अगर इंसानों के नशा करने की आदत में कुछ बदलाव हुए हैं तो वो उनकी और की चाह है। कोई भी थोड़े में संतुष्ट नहीं होना चाहता।

बिच्छू का नशा

इसी वजह से न जाने कितने लोग नशा करने के लिए हर वो काम करने को तैयार रहते हैं जो उन्हें खयाली दुनिया में पहुंचा दे। इसी कड़ी में आज आपको एक बिल्कुल नए और तगड़े नशे के बारे में बताते हैं। ये नशा पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में खोजा गया है।

बता दें कि खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में अफीम की जबरदस्त पैदावार होती है। लेकिन फिर भी यहां के नशेड़ियों ने एक बहुत ही तगड़ा, लेकिन घातक नशा खोज निकाला है।

खबर के मुताबिक यहां के लोग अब बिच्छू मारकर पी रहे हैं। यहां की गलियों में आज कल बिच्छूमार घूम रहे हैं। मरा हुआ बिच्छू भी दो से तीन रुपये में बिक रहा है। ये नशा सबसे ज्यादा पेशावर के मतानी इलाके में बिक रहा है।

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नशा करने के लिए बिच्छू को पहले मारा जाता है, फिर कई दिन धूप में सुखाकर उसका पाउडर बनाते हैं। प्रोफेशनल लोगों से पूछो तो बताएंगे कि धूप में सूखते बिच्छू की रखवाली भी करनी पड़ती है, वरना चींटियां और कीड़े उसकी लाश का जहर सोख लेंगे।

वहीं झटपट नशा तैयार करने के लिए बिच्छू को कोयले की आग पर भूंज लेते हैं। फिर उसे एक खास तरह के चूल्हे पर रखकर तब तक फूंकते हैं, जब तक वह चुरमुरा पाउडर न बन जाए।

इसके बाद इस पाउडर को सिगरेट में या चिलम में गांजे के साथ रोल किया जाता है। फिर इसे फूंकने वाला आदमी लगभग 10 घंटे के लिए किसी और ही दुनिया में पहुंच जाता है।

हालांकि बिच्छू नशा करने के चक्कर में लोग इस बात को भूल रहे हैं कि इसकी वजह से नशे में हैलुसिनेशन, शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस या फिर याददाश्त भी जा सकती है। साथ ही पैरालिसिस होने का खतरा भी बढ़ जाता है। लेकिन जो भी हो यहां के लोग इस नशे को एंजोयमेंट कर रहे हैं।

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