
दिल्ली-एनसीआर में जहरीली हवा का संकट गहराता जा रहा है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 335 से ऊपर पहुंच गया है और कई जगह ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ स्तर पर है। इस स्वास्थ्य आपातकाल पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सख्त रुख अपनाते हुए याचिकाओं की सुनवाई 3 दिसंबर के लिए तय की। कोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा अब लगातार निगरानी की मांग करता है, क्योंकि समस्या सबको पता है, लेकिन समाधान दीर्घकालिक होने चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह (एमिकस क्यूरी) की दलील सुनी, जिन्होंने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में स्थिति ‘स्वास्थ्य आपातकाल’ जैसी है। सीजेआई ने कहा, “न्यायपालिका के पास कौन सी जादुई छड़ी है? हमें पता है कि दिल्ली-एनसीआर के लिए यह स्थिति खतरनाक है। समस्या सबको पता है, मुद्दा यह है कि समाधान क्या हैं। हमें इसकी वजहें पहचाननी होंगी और इसका हल तो विशेषज्ञ ही दे सकते हैं। हम आशा करते हैं कि लंबी अवधि तक प्रभावी समाधान खोजे जाएंगे।”
कोर्ट ने आगे कहा, “हमें बताइए कि हम क्या निर्देश दे सकते हैं? क्या कोई निर्देश देकर हम तुरंत स्वच्छ हवा मिल सकती है? हर क्षेत्र के हालात अलग हैं। देखते हैं कि सरकार ने समितियों के स्तर पर क्या कदम उठाए हैं। यह मामला दीपावली के आसपास औपचारिक तौर पर भी सूचीबद्ध होता है, लेकिन इसकी नियमित निगरानी अब जरूरी है।”
कोर्ट ने सुझाव दिया कि प्रदूषण के कारण वरिष्ठ वकीलों को वर्चुअल सुनवाई की सुविधा दी जाए, खासकर सांस संबंधी परेशानियों के मद्देनजर।
पिछली सुनवाई के निर्देश
19 नवंबर को कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) से कहा था कि दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों में नवंबर-दिसंबर में खुले मैदान पर होने वाले खेल आयोजनों को ‘सुरक्षित महीनों’ तक टालने पर विचार किया जाए। CAQM ने इसके बाद सभी आउटडोर स्पोर्ट्स इवेंट्स पर रोक लगा दी। कोर्ट ने पूरे साल GRAP (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) लागू करने के सुझाव को खारिज कर दिया, कहा कि यह आपातकालीन उपाय है, न कि स्थायी समाधान। इसके बजाय, दीर्घकालिक उपायों जैसे पराली जलाने पर रोक, वाहन उत्सर्जन नियंत्रण और औद्योगिक सख्ती पर जोर दिया।
वर्तमान स्थिति
दिल्ली का AQI 335 पर पहुंच गया है, जो 12 दिनों से ‘बहुत खराब’ श्रेणी में है। CAQM ने GRAP को और सख्त किया है—स्टेज-2 में ही 50% वर्क फ्रॉम होम, स्टेज-3 में ऑफिस टाइमिंग बदलाव। विशेषज्ञों के अनुसार, पराली जलाना, वाहन और मौसमी कारक मुख्य वजहें हैं। कोर्ट ने पंजाब-हरियाणा से पराली पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
यह सुनवाई मासिक आधार पर होगी, ताकि प्रगति पर नजर रखी जा सके।





