
भारत और रूस के बीच मजबूत साझेदारी को नई गति देने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा तय हो गया है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने शुक्रवार को आधिकारिक बयान जारी कर पुष्टि की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर पुतिन 4 और 5 दिसंबर 2025 को भारत के औपचारिक दौरे पर पहुंचेंगे।
यह यात्रा 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए होगी, जिसमें द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा के साथ-साथ वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी। यह पुतिन का 2021 के बाद भारत का पहला दौरा होगा, जो दोनों देशों की विशेष रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने का महत्वपूर्ण अवसर साबित होगा।
पुतिन 4 दिसंबर को नई दिल्ली पहुंचेंगे, जहां वे प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इस दौरान दोनों नेता राजनीतिक, व्यापारिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी, सांस्कृतिक और मानवीय क्षेत्रों में सहयोग की विस्तृत एजेंडा पर विचार-विमर्श करेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी पुतिन का स्वागत करेंगी और उनके सम्मान में एक भोज का आयोजन किया जाएगा। विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह दौरा दोनों देशों को अपनी विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त कूटनीतिक साझेदारी के लिए भविष्य की दिशा निर्धारित करने का मौका देगा। साथ ही, स्थानीय और वैश्विक हितों से जुड़े मुद्दों जैसे ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा निर्यात और क्षेत्रीय स्थिरता पर भी गहन चर्चा होगी।
भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन: लंबी परंपरा का हिस्सा
भारत और रूस के बीच हर वर्ष शिखर स्तर की वार्ता आयोजित होती है, जो अब तक 22 बार हो चुकी है। यह परंपरा दोनों देशों के बीच गहन विश्वास और सहयोग को दर्शाती है। पिछले साल जुलाई में प्रधानमंत्री मोदी मॉस्को गए थे, जहां उन्होंने रूसी राष्ट्रपति के साथ महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। वहीं, पुतिन का पिछला भारत दौरा 2021 में हुआ था। इस बार का फोकस विशेष रूप से सैन्य और तकनीकी सहयोग पर रहेगा, जिसमें ऊर्जा, नागरिक उड्डयन, महत्वपूर्ण खनिज, निवेश परियोजनाओं और श्रम प्रवास जैसे क्षेत्र भी शामिल हैं।
प्रमुख मुद्दे: एस-400 डील से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध तक
दौरे के दौरान सैन्य सहयोग प्रमुख एजेंडा रहेगा। माना जा रहा है कि भारत अतिरिक्त एस-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों की खरीद पर चर्चा करेगा। भारत ने 2018 में पांच यूनिट्स के लिए 5 अरब डॉलर का सौदा किया था, जिसमें तीन रेजिमेंट्स पहले ही प्राप्त हो चुकी हैं और शेष दो अगले साल तक मिलने की उम्मीद है।
इस प्रणाली ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के हवाई हमलों को नाकाम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके अलावा, रूस भारत को पांच अतिरिक्त एस-400 स्क्वाड्रनों और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का स्टॉक प्रदान करने का प्रस्ताव रख सकता है।
रूस भारत को अपने पांचवीं पीढ़ी के सुखोई-57 फाइटर जेट्स की दो या तीन स्क्वाड्रनों की बिक्री के लिए जोर देगा, जो अमेरिकी एफ-35 का विकल्प हो सकता है। ऊर्जा क्षेत्र में भी बातचीत होगी, खासकर रूसी तेल आयात पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच। रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत शांति वार्ता का समर्थन दोहराएगा। व्यापारिक मोर्चे पर, 2024-25 वित्तीय वर्ष में दोनों देशों के बीच व्यापार 68.7 अरब डॉलर से अधिक पहुंच चुका है, जिसे और बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।
यह दौरा वैश्विक तनावों के बीच भारत-रूस संबंधों को मजबूत करने का संकेत देता है, जहां दोनों देश बहुपक्षीय मंचों पर एक-दूसरे का साथ देते हैं। क्रीमलिन ने इसे “महत्वपूर्ण अवसर” करार दिया है, जो रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।





