SIR प्रक्रिया में BLOs की मौतों का सिलसिला: 22 दिनों में 7 राज्यों में 25 की जान गई, मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा; राजनीतिक बवाल तेज

निर्वाचन आयोग की विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया, जो 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 51 करोड़ से अधिक मतदाताओं के नामों की जांच कर रही है, अब बूथ लेवल ऑफिसरों (BLOs) की मौतों के कारण सवालों के घेरे में है।

4 नवंबर से शुरू हुई इस प्रक्रिया के 22 दिनों में 7 राज्यों—मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, केरल और तमिलनाडु—में 25 BLOs और सहायकों की मौत हो चुकी है। इनमें से कई मौतें हार्ट अटैक, स्ट्रोक, दुर्घटना और कथित तनाव से जुड़ी आत्महत्याओं की बताई जा रही हैं। मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 9 मौतें हुई हैं, जबकि उत्तर प्रदेश और गुजरात में 4-4 की जान गई। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने 34 मौतों का दावा किया है, लेकिन आयोग इसे अस्वीकार कर रहा है।

5.32 लाख BLOs पर 956 मतदाताओं की जांच का बोझ, 30 दिनों की समयसीमा और डिजिटलीकरण के दबाव ने उन्हें ‘मशीन’ बना दिया है। परिवारों का आरोप है कि लंबे घंटे, यात्रा और अपूर्ण संसाधन स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहे हैं। आयोग के सूत्रों का कहना है कि मौतों का SIR से सीधा संबंध सिद्ध नहीं हुआ, लेकिन जिला-राज्य स्तर की रिपोर्ट का इंतजार है।

राजनीतिक बवाल और आरोप-प्रत्यारोप

पश्चिम बंगाल के मंत्री अरूप बिस्वास ने कहा कि SIR के कारण राज्य में 34 मौतें हुईं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे ‘पीछे के दरवाजे से NRC लागू करने’ की साजिश बताया, जो डर का माहौल बना रही है। उन्होंने कहा, “कितनी और जानें जाएंगी? यह लोकतंत्र पर हमला है।” भाजपा आईटी प्रमुख अमित मालवीय ने TMC पर फर्जी नाम जोड़ने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे ‘थोपी हुई तानाशाही’ कहा, जहां BLOs की मौतें ‘कुल डैमेज’ हैं।

पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने सुझाव दिया कि आयोग को तकनीकी दिक्कतें दूर करनी चाहिए। मध्य प्रदेश में कैप्चा हटाने और रात में फॉर्म अपलोड करने से राहत मिली। शिक्षक BLOs पर स्कूल कोर्स पूरा करने का अतिरिक्त दबाव है।

सुप्रीम कोर्ट का रुख

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SIR को ‘पहले कभी नहीं हुआ’ कहकर चुनौती नहीं दी जा सकती। CJI सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने स्पष्ट किया कि आयोग के पास फॉर्म-6 की शुद्धता जांचने की शक्ति है। आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं। नाम हटाने से पहले पूर्व सूचना अनिवार्य। गुरुवार को भी सुनवाई होगी।

NHRC में शिकायत दर्ज हुई है, जिसमें 15 मौतों का हवाला देकर ‘अमानवीय दबाव’ का आरोप लगाया गया। ड्राफ्ट सूची 9 दिसंबर को जारी होगी, अंतिम 7 फरवरी 2026 को।

राज्यवार मौतों की सूची

  • गुजरात (4): BLO रमेश की हार्ट अटैक से मौत; BLO डिंकल की मौत; BLO अरविंद की आत्महत्या; BLO सहायक उषाबेन और कल्पना पटेल की मौत।
  • केरल (1): BLO अनीश की आत्महत्या।
  • राजस्थान (3): BLO हरिओम की मौत; BLO मुकेश की आत्महत्या; SIR सुपरवाइजर संतराम की मौत।
  • मध्य प्रदेश (9): BLO भुवन, रमाकांत, सीताराम, मनीराम, सुजान सिंह, अनिता नागेश्वर की मौतें; BLO उदयभान की आत्महत्या; नायब तहसीलदार कविता कड़ेला की आत्महत्या; दो और हार्ट अटैक।
  • पश्चिम बंगाल (3): BLO नमिता की मौत; BLO शांति और रिंकू तरफदार की आत्महत्या।
  • उत्तर प्रदेश (4): BLO विजय कुमार वर्मा, सर्वेश कुमार गंगवार की मौत; BLO विपिन यादव और SIR सुपरवाइजर सुधीर कुमार की आत्महत्या।
  • तमिलनाडु (1): BLO जहिता की आत्महत्या; आंगनबाड़ी सेविका का आत्महत्या प्रयास।

यह सिलसिला BLOs के स्वास्थ्य और SIR की समयसीमा पर सवाल उठा रहा है। आयोग ने भत्ते दोगुना (12,000 रुपये सालाना) और SIR प्रोत्साहन (2,000 रुपये) बढ़ाया, लेकिन परिवारों का गुस्सा थम नहीं रहा।

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