रोहिंग्या मुसलमानों के लिए सरदार बने मसीहा, ‘हसीना’ तक से कर रहे लड़ाई
ढाका। म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों लेकर फैली हिंसा के बाद अन्य देशों में पलायन को मजबूर इस समुदाय के लिए दुनिया भर के लोगों की मिली जुली प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। म्यांमार से रोहिंग्या समुदाय के लाखों लोग दूसरे देशों में शरण लिए हुए हैं। समुद्री रास्तों से बांग्लादेश में ही रोहिंग्या मुसलमान आ चुके हैं। इस बीच सिख समुदाय के लोग हर तरफ से मार झेल रहे रोहिंग्या मुसलमानों के लिए मसीहा बनकर आए हुए हैं।
बांग्लादेश में रोहिंग्या मुसलमानों के मसीहा बना खालसा ऐड बांग्लादेश पहुंच कर उनकी सेवा कर रहा है। खालसा ऐड एक अंतरराष्ट्रीय एनजीओ है, जिसका मकसद दुनिया भर के संकटग्रस्त देशों में जाकर पीड़ित लोगों की हर संभव मदद करना है।
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खालसा ऐड के डायरेक्टर अमरप्रीत सिंह ने कहा कि, ‘हमारी टीम 9 सितंबर को ही बांग्लादेश पहुंच गई थी। रिफ्यूजी इलाकों में लंगर लगाया जा रहा है, जहां हर रोज करीब 30 से 50 हजार लोगों को खाना खिलाया जा रहा है’।
अमरप्रीत सिंह ने कहा कि हमारी दूसरी प्राथमिकता है कि एक बार स्थानीय सरकार (बांग्लादेश) रोहिंग्या मुसलमानों के लिए उचित जमीन मिल सके तो वे पीड़ितों के लिए सुरक्षित और स्थायी शरणार्थी घर बनाएंगे।
अमरप्रीत सिंह ने कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों को एक ऐसे देश में पनाह लेनी पड़ रही है जो खुद हताश और निराश है। उन्होंने कहा, ‘मैंने कभी नहीं देखा कि पानी पीने से ही इन लोगों को इतनी राहत मिल रही है। इन लोगों के पास बिल्कुल भी पैसा नहीं है, जिससे वे रिफ्यूजी कैंप तक पहुंच सके। यहां के लोकल रिक्शा भी इन लोगों से डबल किराया ले रहे हैं इसलिए अब हम इन लोगों के लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था में भी लगे हैं, ताकि ये लोग सुरक्षित जगहों पर पहुंच सके’।