फ्रांस ने दे दी खुली छूट, राफेल डील पर एक-एक बात का जवाब देंगे मोदी!

नई दिल्ली: भारत सरकार की फ्रांस के साथ बहुचर्चित राफेल डील पर फ्रांस के राष्ट्रपति की तरफ से अहम बयान जारी किया गया है. राफेल सौदे को लेकर भारत और फ्रांस के बीच जो करार हुआ था उस पर विपक्ष ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी और खुली बहस की चुनौती दी थी. सुरक्षा और गोपनीयता के कारणों की वजह से भारत सरकार ने बहस को स्वीकार करने के प्रश्न को नजरअंदाज करना ही उचित समझा था अब उस मुद्दे पर मोदी सरकार को फ्रांसीसी सरकार का साथ मिलने से मामले में नई उर्जा का संचरण हो गया है.भारत

भारत और फ्रांस के बीच इस रक्षा समझौते पर मैक्रों ने कहा यह डील एक अच्छे नेगोसिएशन के माहौल में हुई है साथ ही यह डील भारतीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम सौदा साबित होगा. मैक्रों के मुताबिक राफेल डील भारत और फ्रांस के बीच सुरक्षा एवं व्यापारिक सहमति के एक हिस्से के तौर पर है. फ्रांस हमेशा से भारत के साथ व्यापारिक साझेदार रहा है, लेकिन भ्रष्टाचार से पर विपक्ष को क्लीन चिट देने के उद्देश्य से दोनों देशों ने आपसी सहमति व्यक्त की है.

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भारत और फ्रांस के बीच हुई राफेल डील पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा है कि यदि भारत इस मुद्दे पर विपक्ष के साथ किसी तरह की बहस के लिए डील की कुछ बारीकियों से पर्दा उठाना चाहता है तो फ्रांस सरकार विरोध नहीं करेगी. इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में मैक्रों ने कहा कि इस डील में इकोनॉमिक, इंडस्ट्रियल और स्ट्रैटेजिक हितों का पूरा ध्यान रखा गया है.

राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि यह डील उनके कार्यकाल में नहीं की गई है लेकिन उनका मानना है कि इस डील से दोनों देशों को फायदा हुआ है. डील पर बरती जा रही गोपनियता पर मैक्रों ने कहा कि दोनों देशों के बीच जब किसी मामले पर बेहद सेंसिटिव बिजनेस इंटरेस्ट शामिल रहते हैं तो खुलासे करना उचित नहीं रहता. मैक्रों ने कहा कि इस डील में कॉमर्शियल एग्रीमेंट के तहत प्रतियोगी कंपनियों को डील की बारीकियों की जानकारी नहीं होनी चाहिए. यह कमर्शियल एग्रीमेंट कुछ कंपनियों के हितों से जुड़े हैं लिहाजा इनपर गोपनीयता जायज है.

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मैक्रों ने कहा कि कुछ टेक्निकल मुद्दों पर रहस्य केवल कॉमर्शियल एग्रीमेंट के कारण है. मैक्रों ने दावा किया कि यदि भारत में मोदी सरकार इस डील पर उठ रहे विवादों के बीच विपक्ष के साथ संवाद में कुछ बारीकियों पर से पर्दा उठाना चाहती है तो उनकी सरकार को इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी.

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