
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर चल रहा संघर्ष और तेज हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दोनों देशों के नेताओं से बात कर सीजफायर की घोषणा करने के कुछ घंटों बाद ही शनिवार को थाई वायुसेना के दो F-16 लड़ाकू विमानों ने कंबोडिया के अंदर सात बम गिराए।
कंबोडिया की रक्षा मंत्रालय ने आरोप लगाया कि इन हमलों से कई लक्ष्य तबाह हो गए, जिसमें इमारतें और पुल शामिल हैं। थाईलैंड ने इसे जवाबी कार्रवाई बताया, जबकि कंबोडिया ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करार दिया।
ट्रंप ने शुक्रवार को थाई प्रधानमंत्री अनुतिन चार्नविराकुल और कंबोडियाई प्रधानमंत्री हून मानेत से फोन पर बात की थी। इसके बाद उन्होंने घोषणा की कि दोनों देश गोलीबारी रोकने पर सहमत हो गए हैं और मूल शांति समझौते पर लौटेंगे। लेकिन न तो थाईलैंड और न ही कंबोडिया ने इसकी आधिकारिक पुष्टि की।
थाई प्रधानमंत्री ने कहा कि सीजफायर तभी संभव है जब कंबोडिया अपनी सेनाएं हटाए और लैंडमाइंस हटाए। कंबोडिया ने ट्रंप के दावे के बाद भी हमलों की निंदा की और संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप की मांग की।
यह संघर्ष दिसंबर की शुरुआत से तेज हुआ है, जब जुलाई में ट्रंप की मध्यस्थता से हुआ सीजफायर टूट गया। अब तक दर्जनों लोग मारे जा चुके हैं और लाखों विस्थापित हुए हैं। दोनों देश एक-दूसरे पर पहले हमला करने का आरोप लगा रहे हैं। पुराना विवाद प्राचीन मंदिरों और फ्रांसीसी काल की सीमा रेखा से जुड़ा है।
थाईलैंड ने F-16 और ग्रिपेन जेट्स से हवाई हमले किए, जबकि कंबोडिया ने रॉकेट और ड्रोन का इस्तेमाल किया। दोनों तरफ नागरिक क्षेत्र प्रभावित हुए हैं, जिसमें घर, स्कूल और मंदिर क्षतिग्रस्त हो गए।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय चिंतित है, लेकिन दोनों देश तीसरे पक्ष की मध्यस्थता ठुकरा रहे हैं। लाखों लोग शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर हैं। स्थिति अभी तनावपूर्ण बनी हुई है और पूर्ण युद्ध का खतरा मंडरा रहा है।





