बहुत हुई बातें अब होगी असली फाईट, आमने-सामने होंगे मोदी और यशवंत सिन्हा
नई दिल्ली। महज एक हफ्ते के में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सामना ऐसे इंसान से होने वाला है जिसने उनकी आलोचना करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी। नोटबंदी और जीएसटी जैसे क्रांतिकारी कदम को उन्होंने न केवल गलत ठहराया बल्कि देश की रीढ़ को कमजोर करने वाला भी बताया। हम बात कर रहे हैं भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा की। भाजपाई होने के बावजूद वे पीएम मोदी के धुर विरोधी माने जाते हैं।
अर्थव्यवस्था में सुस्ती पर यशवंत सिन्हा ने ऐसे-ऐसे आंकड़े पेश किए जो वाकई केंद्र के इन फैसलों पर सवालिया निशान लगाते हैं।
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खबरों के मुताबिक़ बिहार के सबसे पुराने पटना यूनिवर्सिटी के शताब्दी वर्ष समारोह के मुख्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राज्यपाल सत्यपाल मलिक भी वहां मौजूद होंगे।
पटना यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रासबिहारी प्रसाद सिंह ने द टेलीग्राफ को बताया कि यूनिवर्सिटी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुख्य कार्यक्रम के लिए न्योता भेजा है।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी पीएम के आने की पुष्टि की है। बतौर वाइस चांसलर भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा को भी यूनिवर्सिटी का पूर्व छात्र होने के नाते निमंत्रण भेजा गया है।
अब अगर पीएम मोदी और यशवंत सिन्हा दोनों कार्यक्रम में पहुंचते हैं तो यह वाकयुद्ध छिड़ने के बाद दोनों नेताओं की पहली मुलाकात होगी।
यूनिवर्सिटी की गेस्ट लिस्ट के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री और राजद अध्यक्ष लालू यादव, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को भी समारोह में शामिल होने का न्योता भेजा गया है। इन सभी नेताओं के भी कार्यक्रम में शामिल होने की उम्मीद है। यहां सालभर तक शताब्दी समारोह मनाया जाएगा।
बता दें इससे पहले यशवंत ने नोटबंदी और जीएसटी जैसे केंद्र के फैसलों को गलत ठहराते हुए मोदी सरकार की कार्यशैली पर बड़ा प्रश्न चिन्ह लगाया था।
यशवंत की इस बात पर पीएम मोदी ने खुद सामने आकर जवाब देना मुनासिब समझा। उन्होंने 4 अक्टूबर यानी बुधवार को यशवंत के दिए गए बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी।
हालांकि मोदी जी ने अर्थव्यस्था में सुस्ती की बात स्वीकार की, लेकिन उन्होंने आलोचकों से कहा कि वे नकारात्मकता न फैलाएं। साथ ही उन्होंने अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने का वादा किया।
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मोदी ने कहा था, “पिछले तीन सालों में 7.5 प्रतिशत विकास दर के बाद गिरावट आई है। मैं इससे इंकार नहीं कर रहा। सरकार अर्थव्यवस्था की समस्या से निपटने के लिए पूरी तरह वचनबद्ध है। हम निर्णय लेने के लिए तैयार हैं। हमने कई सारे कदम उठाए हैं। वित्तीय स्थिरता बनाए रखी जाएगी। हम निवेश और आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे।”
मोदी ने यह बात ऐसे समय में कही थी, जब यशवंत सिन्हा और विपक्षी दलों ने आर्थिक सुस्ती और बेरोजगारी को लेकर तीखा हमला बोला है, जिसके बाद अर्थव्यवस्था की सेहत को लेकर बहस शुरू हो गई है।
मोदी ने कहा कि उनकी “सरकार संवेदनशील है और कड़ी आलोचना का भी स्वागत करती है और हम उन सभी को विनम्रता और गंभीरता से लेते हैं। मैं सभी को, अपने आलोचकों को भी, आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम ऐसा नहीं मानते कि सबकुछ गलत है। लेकिन नकारात्मकता फैलाने से बचना चाहिए।”
अपनी बातों में उन्होंने आलोचकों की तुलना महाभारत के शल्य से की, जो कर्ण का सारथी था। वह हमेशा राजा को हतोत्साहित करता रहता था।
मोदी ने कहा कि ऐसे लोगों को पहचानने की जरूरत है। इस पर यशवंत सिन्हा ने जवाब दिया है कि “मैं शल्य नहीं, भीष्म हूं। भीष्म तो बोले नहीं थे मगर मैं बोलूंगा और अर्थव्यवस्था का चीरहरण नहीं होने दूंगा।”
सिन्हा ने कहा, “महाभारत में हर तरह के चरित्र हैं, शल्य भी उनमें से एक है। शल्य कौरवों की ओर किस तरह शामिल हुए, कहानी सबको पता है। दुर्योधन ने उनको ठग लिया था। शल्य, नकुल और सहदेव के मामा थे। वे तो पांडवों की तरफ से लड़ना चाहते थे मगर ठगी के शिकार हुए। महाभारत में ही एक और चरित्र है भीष्म पितामह। भीष्म पर आरोप है कि जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था तो वे खामोश रह गए। अब अगर अर्थव्यवस्था का चीरहरण होगा तो मैं बोलूंगा।”
इतना ही नहीं सिन्हा ने आगे कहा, “मुझे अंदाजा नहीं था कि जवाब देने के लिए खुद प्रधानमंत्री आगे आ जाएंगे। आकंड़ों का खेल खतरनाक होता है, आप कुछ साबित करेंगे, मैं दूसरे आंकड़े से दूसरी बात साबित कर दूंगा। जमीनी हकीकत की ओर देखिए।”
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