संसद की रूकावट पर बिफरे गुलाम नबी आजाद, कहा- इसके लिए मोदी जिम्म्मेदार

नई दिल्ली: संसद में विरोध को हथियार बना कर सत्र न चलने देने पर गुलाम नबी आजाद ने नाराजगी व्यक्त की है. संसद देश की महनीय संस्थान है जहाँ देश भर से चुने हुए जनता के प्रतिनिधि विकास की रूपरेखा तैयार करते हैं. पक्ष- विपक्ष में बहस लोकतंत्र का एक हिस्सा है लेकिन विरोध को हथियार बनाकर लोकतंत्र पर कुठाराघात करना अत्यंत निंदनीय है.गुलाम नबी आजाद

संसद ना चल पाने के लिए पूर्व स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने सरकार को जिम्मेदार बताया. उनका कहना है कि 10 राजनीतिक पार्टियों ने बैठक में निर्णय किया है कि राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को बताया जाए कि हम सदन को चलाना चाहते हैं लेकिन सरकार ऐसा करना नहीं चाहती.

सरकार मुद्दों से भाग रही है. सब ने एक साथ मिलकर सभापति से कहा है कि सदन में हमको बोलने की इजाजत दी जाए.

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गुलाम नबी का आरोप है कि सरकार की तरफ से कोई भी कोशिश नहीं की गई है. सरकार की तरफ से कोई भी आगे नहीं आया कि सदन को कैसे सुचारू रूप से चलाया जाए और विपक्ष से बात की जाए. संसद का बजट सत्र बहुत ही महत्वपूर्ण है.

राज्यसभा के सभापति ने मुद्दे को हल करने की पूरी कोशिश की, लेकिन सरकार की तरफ से भी किसी को आगे आना चाहिए. संसद नहीं चल पाने के लिए सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार है. सरकार मुद्दों पर चर्चा करने से भाग रही है लेकिन विपक्ष चाहता है कि सदन चले.

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि देश के तीन अहम मुद्दे हैं जो देश के लोगों को झकझोर रहे हैं. बैंक घोटाला ऐसा मुद्दा है जिसपर संसद में चर्चा होनी चाहिए, पूरा देश इस मुद्दे को जानना चाहता है.

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दूसरा मुद्दा है क्षेत्रीय मुद्दा, जिसके तहत आंध्र प्रदेश के लिए विशेष पैकेज की मांग की जा रही है. आंध्रं प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए. तीसरा मुद्दा है कावेरी, यह भी सदन में डिस्कस होना चाहिए.

सभी पार्टियां इन तीन मुद्दों पर सदन में चर्चा करना चाहती हैं. पार्टियां चाहती हैं कि सदन चले और सरकार का जो बिजनेस है वह भी पास हो. सभी पार्टियों का मानना है कि इन मुद्दों पर उनके साथ चर्चा में होनी चाहिए.

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