लौट आया CRPF का चीता, आतंकियों से मुठभेड़ में लगी थीं 9 गोलियां

नई दिल्ली: सेना हमारे देश की प्रहरी है. देश की सुरक्षा की बागडोर के लिए सेना के जवानो की अपनी वीरगाथा रही है. देशहित में अपनी जान न्यौछावर करने वाले वीर जवान अपने अदभुद साहस और पराक्रम के लिए अनूठी शान के प्रवर्तक रहे हैं. वीर जवानो की शहादत की कुछ दास्ताने ऐसी भी हैं जिनको सुनकर कोई भी दांतों तले उँगलियाँ दबा ले.चेतन चीता

आज आपको बताने जा रहे हैं साहस और पराक्रम की अनोखी दास्तान समेटे कमान्डेंट चेतन चीता के बारे में जिनकी कहानी वीरता और पराक्रम का अनोखा मिश्रण है जिससे उन्होंने सेना के इतिहास में एक नये अध्याय को जोड़ा है.

पिछले साल आतंकवादियों के साथ भीषण मुठभेड़ में घायल चेतन चीता का जीवित बच जाना किसी चमत्कार से कम नहीं था. इस जांबाज अधिकारी को 14 फरवरी 2017 को हुई मुठभेड़ के दौरान 9 गोलियां लगी थीं. बांदीपोरा के हाजिन क्षेत्र में सीआरपीएफ की ओर से सर्च ऑपरेशन किया जा रहा था. उसी वक्त आतंकवादियों ने सर्च टीम पर गोलियां चलाना शुरू कर दिया.

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सीआरपीएफ की 45वीं बटालियन के कमांडेंट चेतन चीता कई गोलियां लगने के बावजूद मौके पर डटे रहे. उन्होंने अपनी टीम के साथ आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए उनके मंसूबे को नाकाम कर दिया.

चेतन चीता को दूसरे सबसे बड़े वीरता पदक ‘कीर्ति चक्र’से बीते साल सम्मानित किया गया. चेतन चीता ने इंडिया टुडे से कहा, ‘मैं चाहता हूं कि युवा अपना 100 फीसदी देश को दें. वही जो मैंने किया. मेरी जो ड्यूटी थी, मैं वहां से हट सकता था लेकिन मैंने गोलियों का सामना करना बेहतर समझा.’

उत्तर कश्मीर के बांदीपोरा के हाजिन क्षेत्र में आतंकवादियों के साथ एक साल पहले भीषण गोलीबारी में गंभीर रूप से घायल हुए सीआरपीएफ कमांडेंट चेतन चीता दोबारा ड्यूटी पर लौट आए हैं. उन्होंने बीते हफ्ते दिल्ली में सीआरपीएफ हेडक्वार्टर में ड्यूटी संभाली.

चेतन चीता ने कहा, ‘जम्मू और कश्मीर में स्थिति संभलने में कुछ समय लगेगा. एक जवान इतना ज्यादा ही कर सकता है. इसके लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति होनी चाहिए.’ बीते एक साल मे अपनी रिकवरी के दौरान कई बार दोहरा चुके हैं कि कश्मीर समस्या का सिर्फ राजनीतिक समाधान ही हो सकता है.

आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन में एक आंख खो चुके चेतन चीता अपने हाथ में संवेदना दोबारा लाने के लिए भारी फिजियोथिरेपी का ट्रीटमेंट ले रहे हैं. उनके हाथ में गोली का निशान साफ देखा जा सकता है जहां से मांस कट कर अलग हो गया था.

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ड्यूटी पर लौटने से पहले ही इस बहादुर ऑफिसर ने माउंट आबू में सीआरपीएफ एकेडेमी में जाकर जवानों को मॉटिवेशनल स्पीच दी थी. उन्होंने बताया कि उनके इतनी जल्दी दोबारा ड्यूटी शुरू करने से उनकी पत्नी उमा, परिवार ने चिंता व्यक्त की थी. चेतन चीता ने कहा, मेरा परिवार चिंतित है, मेरी पत्नी चिंतित है. लेकिन मैं जानता हूं कि मैं जितनी जल्दी अपना काम दोबारा शुरू करूंगा, उतनी जल्दी ही मैं रिकवर हूंगा.’

वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि चेतन चीता को पूरी तरह सामान्य होने में एक या दो साल लग सकते हैं. चेतन चीता का जुझारूपन उनके एक एक शब्द से झलकता है. उनका कहना है, ‘मेरी फिजियोथिरेपी चल रही है. और मैं फाइटिंग फिट हूं. अगर मेरी फोर्स और मेरा देश चाहता है कि मैं फील्ड में जाऊं और ऑपरेशन में हिस्सा लूं तो मेरी तरफ से कोई हिचक नहीं होगी.’

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