डीएनए सैंपल से हुई पहचान, मोसुल में ISIS का शिकार बने 39 भारतीय

नई दिल्ली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को संसद में बड़ा खुलासा किया है। दरअसल सुषमा ने बताया कि 2014 में इराक के मोसुल में 4 साल से लापता 39 भारतीयों के मारे जाने की पुष्टि हो गई है। इराक के मोसुल में इन भारतीयों को आईएसआईएस के आतंकियों ने जून 2014 में अगवा किया था।

इराक के मोसुल

सुषमा ने कहा कि 39 भारतीयों को आईएसआईएस ने मारा था। इन शवों की पहचान डीएनए सैंपल के जरिए हुई है। 39 भारतीयों में से 38 के डीएनए मैच हुए हैं और 39 वें की अभी जांच हो रही है।

आगे सुषमा ने कहा कि हमने पहाड़ की खुदाई करने के बाद शवों को निकाला था, केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह वहां पर गए और सबूतों को खोजने में जुट गए। सबसे पहले संदीप नाम के शख्स का डीएनए मैच किया गया था। इराक से इन सभी शवों को वीके सिंह लाएंगे। इसके लिए सबसे पहले जहाज को अमृतसर ले जाया जाएगा और उसके बाद पटना पश्चिम बंगाल जाएगा।

उन्होंने बताया कि शवों को डीप पेनिट्रेशन रडार के जरिए देखा गया था, उसके बाद सभी शवों को बाहर निकाला गया। वहां कई तरह के चिन्ह मिले थे और डीएनए की जांच के बाद पुष्टि हुई है। आगे कहा कि इन शवों की तलाश 3 साल से चल रही थी।

जानिए क्या है हरजीत मसीह की कहानी-

बता दें कि मोसुल पर आईएसआईएस के कब्जे के बाद जून 2014 में 39 भारतीय मजदूरों को बंधक बनाने की खबर आई थी। इसी बीच आईएसआईएस के चंगुल में फंसे हरजीत मसीह वहां से भागने में सफल रहे। भारत आकर हरजीत ने दावा किया कि सभी 39 भारतीय मजदूरों की गोली मारकर हत्या कर दी गई है।

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