
हिंदू मान्यताओं में एकादशी को पुण्य कार्यों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन अच्छे कामों का दिन कहा जाता है। इसलिए इस माह यानि कि आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांदशी एकादशी कहा जाता है। इस माह की यह एकादशी आज यानि कि 20 अक्टूबर को मनाई जा रही है। इस दिन अपने दिल की हर मुराद को पूरा करने के लिए भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन के व्रत को रखने से मनुष्य को यमलोक में दुख नहीं झेलने पड़ते हैं।
एकादशी का महत्व
इस व्रत के साथ मान्यता जुड़ी हुई है कि इतना फल आप सालों की तपस्या करके प्राप्त करेंगे उतना ही फल इस व्रत को रख कर प्राप्त कर सकते हैं। बताया गया है कि जो भक्त इस व्रत को सच्चे दिल से रखता हे उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। उसे अपने जीवन के अंतिम सफर में किसी भी करह के दुख झेलने नहीं पड़ते हैं।
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व्रत रखने की विधि
वैसे तो इस व्रत की शुरुआत एक दिन पहले से ही शुरू हो जाती है। धर्म के अनुसार सांत धान्य इस एकादशी के दिन नहीं खाने चाहिए क्योंकि इन चीजों से एकादशी के दिन पूजा की जाती है। सांत धान्य मतलब कि गेहूं,उड़द,मूंग,चना,जौ,चावल और मसूर की दासल इन सबी चीजों को इस दिन खाने से बचना चाहिए।
इस दिन व्रत रखते हैं उनको सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके व्रत का संकल्प लेनी चाहिए। संकल्प अपनी शक्ति के अनुसार ही करना चाहिए।
इल दिन हर तरह के भोजन से बचने चाहिए। जितना हो सकें सदा भोजन की इस दिन करना चाहिए। तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए और पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
संकल्प लेने के बाद इस दिन घट की स्थापना की जाती है। फिर बाद में उसके ऊपर श्रीविष्णुजी की मूर्ति रखी जाती है। इस व्रत को रखने के लिए एक रात पहले से ही विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए।
इस व्रत का समापन द्वादशी तिथि यानि कि इस साल 21 अक्टूबर की सुबह ब्राह्मणों को अन्न का दान और दक्षिणा देने के बाद किया जाता है।