‘बर्दाश्त’ की हद पार करने वाले कठफोड़वा से होगा इंसान का इलाज

नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने वुडपैकर (कठफोड़वा) नाम के एक पक्षी को लेकर एक नया शोध किया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जब वुडपैकर तेज से पेड़ के तने पर अपनी चोंच मारती है तो उसके दिमाग पर जोर का झटका लगता है। ये झटका इंसानों के मुकाबले कई गुना तेज होता है।

वुडपैकर

बॉस्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने वुडपैकर पर किए इस शोध में कहा है कि लगातार पेड़ के तने में चोंच मारना इस पक्षी की फितरत तो है, लेकिन इससे इसके दिमाग पर गहरी चोट लगती है।

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आगे उन्होंने बताया कि इस अध्ययन में पाया कि यह चोट इंसानों को लगने वाली चोट के मुकाबले 14 गुना ज्यादा तेज होती है। लेकिन हैरानी की बात तो ये है कि इस गंभीर चोट के बावजूद भी वुडपैकर के दिमाग पर कोई खास असर नहीं पड़ता है। पेड़ के तने पर तेज से मारने के बाद भी उनका दिमाग एकदम सही ढंग से काम करता है।

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शोधकर्ताओं ने वुडपेकर के ब्रेन पर किए इस रिसर्च में बताया कि उनेक दिमाग में ‘टॉ’ नाम का प्रोटीन काफी मात्रा में बनता है। यही प्रोटीन इंसानों में कई तरह की दिमागी बीमारी का कारण होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस रिसर्च से इंसानों को होने वाले दिमागी रोग के इलाज के लिए मदद मिल सकती है।

अध्ययन से जुड़े एक वैज्ञानिक ने कहा कि आजतक हम दिमाग गंभीर चोट से बचाने के लिए अलग-अलग किस्म के गार्ड और हेल्मेट बनाते आ रहे हैं। लेकिन आजतक किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की थी कि वुडपैकर अपने मस्तिष्क को गंभीर झटकों से कैसे बचाती है। उन्होंने कहा कि दिमाग में बनने वाले टॉ प्रोटीन को ही नसों के बचावे के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है जैसा कि ये चिड़िया करती है।

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