
रिपोर्ट- राज बी. सिंह
2019 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव के बाद अब मायावती के चुनाव लड़ने की भी सुगबुगाहट से प्रदेश की राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है। हलांकि, अभी मायावती ने इसकी कोई अधिकारिक घोषणा नहीं की है।
लेकिन मायवाती के करीबियों ने माना है कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए इस बार के लोकसभा चुनाव में मायावती न केवल नेतृत्व की भूमिका में रहेंगी बल्कि खुद चुनावी रण में उतरेंगी।
आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सपा बसपा गठबंधन पर बीजेपी की निगाहें टिकी हुई है। बीजेपी सार्वजनिक रूप से भले इस गठबंधन से किसी भी तरह का कोई फर्क न पड़ने की बात कह रही हो। लेकिन बीजेपी ये जानती है कि सपा-बसपा अगर गठबंधन के साथ चुनावी मैदान में उतरती हैं, तो इसका एक लंबा नुकसान उसे उठाना पड़ सकत है।
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बीजेपी के वरिष्ठ नेता व सरकार के सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह की मानें, तो चाहे सपा-बसपा साथ मिलकर चुनाव लड़े या फिर अखिलेश व मायावती मैदान में उतरें। इससे बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ता। अखिलेश व मायावती के साथ आने व चुनाव लड़ने को लेकर कांग्रेस का रूख अभी बहुत साफ नहीं हो पाया है।
हालांकि, राजनीतिक जानकार ये मानते हैं कि कांग्रेस अभी वेट एंड वांच की स्थिति में है। कांग्रेस अभी मौजूदा परिस्तिथियों को देख रही है। उसकी सोच बीजेपी को कैसे ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुँचाया जाये इसको लेकर होगा। 2019 के चुनाव में बीजेपी हर हाल मे 2014 की जीत को दोहराने की कोशिश कर करेगी।
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वहीँ विपक्ष ये बात बेहतर तरीके से जानता है कि बीजेपी को रोकना अकेले किसी भी पार्टी के वश की बात नहीं है। ऐसे में माया-अखिलेश खुद चुनाव लड़कर बीजेपी के लिये एक राजनीतिक घेरेबंदी करना चाहते है। हलांकि ये इतना आसान नहीं होगा।
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