सिर्फ आशियाना बनवाने के समय ही नहीं जमीन के चयन में भी रखें वास्तु नियमों का ध्यान

लोग हमेशा अपना आशियाना बनाने के लिए वास्तु से जुड़े नियमों का पालन करते हैं। लेकिन क्या इतना ही काफी है अपना घर बनवाने के लिए। नहीं! वास्तु के अनुसार घर बनवाने के साथ-साथ आपको प्लॉट लेते समय भी वास्तु के नियमों का पालन करने की आवश्यता है।आइये जानते हैं प्लॉट लेटे समय वास्तु के नियम।

जमीन

पूर्वमुखी प्लॉट शिक्षा, धर्म और अध्यात्म के कार्य, पश्चिम मुखी प्लॉट सर्विस करने वाले लोगों, जैसे, इंजीनियर, वकील, डॉक्टर के लिए, उत्तर मुखी प्लॉट सरकारी सेवा, पुलिस, सेना में कम करने वालों के लिए और दक्षिण मुखी प्लॉट व्यापारियों और व्यापारिक संस्थानों में कार्य करने के लिए उत्तम होता है।

भारतीय वास्तुशास्त्र के अनुसार, प्लॉट के चारों कोने 90 डिग्री यानी समकोण पर हों, तो वे प्लॉट शुभ माने गए हैं. आयताकार या वर्गाकार प्लॉट उत्तर-पूर्व दिशा में बढ़ा हुआ हो तो भी ठीक है, लेकिन दक्षिण-पशिम और दक्षिण-पूर्व में बढ़ा हुआ प्लॉट अच्छा नहीं माना गया है।

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जो प्लॉट आप देख रहे हो उस प्लॉट के उत्तर-पूर्व में पानी स्थान जैसे कोई टंकी, तलाब का होना शुभ माना जाता है। लेकिन यदि यह प्लॉट के दक्षिण-पश्चिम दिशा में ये अच्छे नहीं माने गए हैं।

समतल प्लॉट सबसे अच्छा माना गया है।यदि प्लॉट ढलवां है, तो यह ढलान उत्तर या पूर्व दिशा की और होना चाहिए। दक्षिण या पशिम दिशा वाली ढलान पर मकान नहीं बनवाना चाहिए।

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जब प्लॉट लेने का विचार करें तो इस बात का ध्यान अवश्य रखें के प्लॉट दो बड़े प्लॉट के बीच में ना हो। ऐसे प्लॉट पर बना घर हमेशा आर्थिक संकट पैदा करता है।

प्लॉट के उत्तर-पूर्व में कोई बड़ा या भारी काम न हुआ हो।

 

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