इंदौर की महापौर बनी मिसाल, 2 साल में किया 100 सालों का काम

इंदौर। प्रेम शर्मा विजय नगर चौकी के पास गुटखा और सिगरेट बेचते हैं, लेकिन उनके छोटे से व्यापार का एक अहम हिस्सा कूड़ेदान है, जिसे वह किसी बिल्कुल खोना नहीं चाहते। शहर भर के बड़े व छोटे व्यवसायों के साथ कमोबेश ऐसा ही मामला है। उन्होंने इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के वाहनों का जिक्र करते हुए कहा, “इंदौर में लोग पुलिस वाहनों से ज्यादा पीले वाहनों से डरते हैं।” ये वाहन दिन-रात शहर में गश्त लगाते रहते हैं और सड़कों पर कचरा फेंकने व गंदगी फैलाने वालों को दंडित करते हैं।

इंदौर

करीब 20 लाख की आबादी वाले शहर में गंदगी फैलाने जुर्माना 100 रुपये से लेकर एक लाख रुपये के बीच हो सकता है और पिछले साल इंदौर नगर निगम ने अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभाई। जुर्माना लगाने के जरिए एक करोड़ रुपये इकट्ठे कर लिए।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विधायक व इंदौर की महापौर मालिनी गौर ने कहा, “यह सिर्फ डर के चलते नहीं है, इंदौर नगर निगम द्वारा किए जा रहे काम का लोग सम्मान करते हैं।”

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मालिनी की यह बात सच मालूम पड़ती है। प्रेम शर्मा इस बात पर गर्व महसूस करते हैं कि वह उस शहर के निवासी हैं, जिसे आवासीय एवं शहरी विकास मंत्रालय द्वारा देशव्यापी सर्वेक्षण में भारत में सबसे साफ-सुथरा शहर में शुमार किया गया।

स्वच्छ सर्वेक्षण रैकिंग में इंदौर के उभरने में महापौर मालिनी गौर की अहम भूमिका है। साल 2015 में इंदौर जहां 180वें स्थान पर था, वहीं 2016 में 25वें स्थान पर पहुंच गया और साल 2017 में 434 शहरों को पछाड़ते हुए पहले स्थान पर काबिज हो गया।

मालिनी ने कहा, “2015 में जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से स्वच्छ भारत के लिए आह्वान किया, हमने इस पर काम करने का फैसला किया।”

मालिनी के पास बतौर महापौर काम करने के लिए दो साल और है।

उन्होंने शहर के दौरे पर आए संवाददाताओं के एक समूह से कहा कि उन्हें 2018 में शहर के एक बार फिर शीर्ष स्थान पर काबिज होने को लेकर पूरा भरोसा है। इस दौरे का बंदोबस्त भाजपा के सुशासन विभाग द्वारा दिल्ली और कर्नाटक के कुछ पत्रकारों के लिए किया गया था।

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समन्वित कचरा ठोस प्रबंधन के सहित सभी मोर्चो पर प्रयासों के साथ शहर ‘रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पर्टिक्युलेट मैटर’ (आरएसपीएम) को साल 2015 के प्रति इकाई 145 माइक्रोग्राम के मुकाबले अब 70 माइक्रोग्राम के आसपास लाने में कामयाब रहा है और इसकी योजना इसे प्रति इकाई 40 माइक्रोग्राम पर लाने की है। सुरक्षित सीमा रेखा प्रति इकाई 100 माइक्रोग्राम है।

अब तक भारत भर से करीब 250 नगर निगम अधिकारी इस मंत्र (साफ रखने) को सीखने के लिए इंदौर का दौरा कर चुके हैं। महापौर ने सहजता के साथ कहा, “यह राजनीतिक व प्रशासनिक इच्छाशक्ति और लोगों का समर्थन है।”

आगे पता चलता है कि महापौर को राजनीतिक पार्टियों, व्यापारिक लॉबी और सफाई कर्मचारियों की ओर से रूकावटों का भी सामना करना पड़ा। इसके लिंए निजी ठेकेदारों को बाहर रखने जैसे सचेत निर्णय की भी जरूरत होती है। कचरे के निपटारे के लिए इसके संग्रह से लेकर परिवहन तक के काम को पूरी तरह से निगम ने खुद अंजाम दिया।

इंदौर नगर निगम के लिए स्वच्छ भारत सलाहकार असद वारसी ने कहा, “निजी कंपनियां अचानक से इतने बड़े भार को वहन करने की स्थिति में नहीं हैं, जो इस काम में सामान्य सी बात है।”

इंडौर नगर निगम स्थायी प्रणाली के डिजाइन के लिए विभिन्न संस्थानों जैसे उन विद्यालयों, अस्पतालों, मंदिरों और होटलों से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने इंदौर को शायद भारत का एकमात्र ऐसा शहर बना दिया जो गंदगी मुक्त, कचरा मुक्त और आवारा जानवरों से मुक्त शहर है।

शहरी की सबसे बेहतरीन अपशिष्ट प्रबंधन और सीवेज उपचार संयंत्र के साथ आगे बढ़ने की योजना है। यह थोक सब्जी बाजार के अपशिष्ट से और शहर के कुछ बसों से मीथेन गैस को निकालकर खाद बनाने से लेकर जिलों को खुले शौच से मुक्त कराने, घर-घर गीले और सूखे कचरे को अलग रखने के प्रति जागरूकता लाने और हर रात स्मारकों व फुटपाथों की सफाई सुनिश्चित करने की योजना बना रहा है।

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इंदौर कचरा स्वच्छता सुविधा की निविदा के साथ आया है, जो संक्रामक जीवाणुओं को कचरे में ही खत्म करे देगा और विकिरण के जरिए दरुगध मुक्त कर देगा। यह 2019 तक प्रभावी होगा और लोकसभा चुनाव के ठीक पहले भाजपा द्वारा अपनी उपलब्धियों के प्रचार के लिए इंदौर एक पोस्टर शहर बन जाएगा।

इंदौर नगर निगम में प्रमुख स्वच्छता निरीक्षक(सीएसआई) राजेश गोदाले ने मध्यरात्रि के आसपास मैकेनाइज्ड सफाई वाहनों और फुटपाथ सफाईकर्मियों की तस्वीरें लेते हुए कहा, “शहर में चार सीएसआई हैं जो हर रात शहर भर में जाकर सफाई प्रक्रिया की तस्वीरें लेते हैं और सबूत के तौर पर व्हाट्स एप ग्रुप में साझा करते हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि इंदौर एक बार फिर सबसे साफ शहर बनेगा।”

शहर को पूरी तरह से साफ रखने के लिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत इंदौर नगर निगम के पास 400 करोड़ रुपये का बजट है, लेकिन इसका संचालन संबंधी लागत 150 करोड़ रुपये के पूंजी निवेश के बाद महज 160 करोड़ रुपये है। महापौर ने कहा कि यह विचार काम की लागत कम रखने के लिए है।

इंदौर को साफ रखने के लिए व्यक्तिगत घर हर महीने 60 रुपये और व्यवसायिक इकाईया 90 रुपये का भुगतान करती हैं।

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